Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 1006
________________ ९६८ सुदर्शनार्थिका (व्य) एक आर्यिका १८ ११७ सुदृष्टि (व्य) सुप्रतिष्ठ और सुनन्दाका पुत्र ३४१४६ सुदृष्टि (व्य) भद्रिलसा नगरीका सेठ ३३।१६७ सुधर्म (व्य) सुधर्माचार्य केवली १६० सुधर्म (व्य) भगवान् महावीरका पंचम गणधर ३४२ सुधर्म (व्य ) एक मुनिराज ३३।१५२ सुधर्म (व्य) तीसरा बलभद्र ६०।२९० सुधर्मक (व्य ) वासुपूज्यका गणधर ६०।३४७ सुधर्मा (भी) विजयदेवके भवन से उत्तर दिशामें स्थित सभा ५१४१७ सुधाम (पा) स्फटिकसालका पश्चिम गोपुर ५७/५९ सुनन्द, नन्दिषेण (व्य) युगल पुत्र ३३।१४१ सुनन्दा (व्य) सुप्रतिष्ठको स्त्री ३४।४७ सुनन्दा (व्य) ऋषभदेवकी स्त्री ९।१८ सुनन्द गोप (व्य) वृन्दावनमें रहनेवाला एक गोप ३५।२८ सुन्दर (व्य) कुण्डलगिरि के स्फटिक कूटका निवासी देव ५।६९४ सुन्दरी (व्य) भगवान् ऋषभदेवकी पुत्री ९।२२ सुन्दरी (व्य) चक्रपुरके राजा अपराजितकी स्त्री २७।८९ सुन्दरी ( व्य ) एक आर्यिका ६०।५१ Jain Education International हरिवंशपुराणे सुन्दरी (व्य ) सूरदेवकी स्त्री ३३।९९ सुन्दरी (व्य ) चित्रकारपुरके प्रीतिभद्रकी स्त्री राजा २७/९७ सुनीता (व्य) हिमवान्की स्त्री १९।३ सुनेमि (व्य) यादव ५०।१२० सुनेमि (व्य) समुद्रविजय का पुत्र ४८ ४३ सुनैगम (व्य) एक देव• ३५॥४ सुपद्म (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५/२५ सुपद्मा ( भी ) ज. वि. का एक देश ३४ ३ पद्मा (भी) पूर्वविदेहका एक देश ५ | २४९ सुपर्णतनय भवनवासी देवोंका एक भेद ४।६३ सुपार्श्व (व्य) = सप्तम तीर्थंकर १९ सुपार्श्व (व्य) आगामी तीर्थंकर ६०१५५८ सुपार्श्व (व्य) सप्तम तीर्थंकर १३।३२ सुप्रणिधि (व्य ) रुचिकगिरिके सुप्रबुद्ध कूटपर रहनेवाली देवी ५।७०८ सुप्रतिष्ठ (व्य ) एक मुनिराज १८/३० सुप्रतिष्ठ (व्य ) श्रीचन्द्र और श्रीमतीका पुत्र ३४।४३ सुप्रतिष्ठ (व्य ) एक मुनि ११७८ सुप्रतिष्ठ (व्य ) शूर और सुवीरको दीक्षा देनेवाले एक मुनि १८।११ सुप्रतिष्ठ (व्य ) कुरुवंशका एक राजा ४५।१२ सुप्रतिष्ट (भौ) रुचिकगिरिका For Private & Personal Use Only दक्षिण दिशासम्बन्धी कूट ५।७१० सुप्रबुद्ध (भी) अधोग्रैवेयकका तीसरा इन्द्रक ६।५२ सुप्रबुद्ध ( भी ) रुचिकगिरिका दक्षिण दिशासम्बन्धी कूट ५।७०८ सुप्रबुद्धा (व्य) रुचिकगिरिके मन्दर कूटपर रहनेवाली देवी ५१७०८ सुप्रबुद्धा (भौ) नन्दीश्वर द्वीपके पश्चिम दिशासम्बन्धी अंजनगिरिको दक्षिण दिशा में स्थित वापिका ५१६६२ सुप्रम (पा) स्फटिक सालका पश्चिम गोपुर ५७/९५ सुप्रभ (व्य) चौथा बलभद्र ६०।२९० सुप्रभ (भौ) कुण्डलगिरिका दक्षिण दिशाका कूट५ १६९२ सुप्रम (व्य ) घृतवर द्वीपका रक्षक देव ५।६४२ सुप्रभंकरा (भौ) नन्दीश्वर द्वीपके उत्तर दिशासम्बन्धी अंजनगिरिकी पूर्व दिशामें स्थित वापिका ५।६६४ सुप्रभा (व्य) अशनिवेगकी स्त्री १९।८३ सुप्रभा (पा) समवसरणके आन वनकी वापिका ५७/३५ सुप्रभा (व्य) अभिचन्द्रकी स्त्री १९/५ सुप्रभा (व्य) राजा प्रचण्डवाहनकी पुत्री ४५।९८ सुप्रवृद्ध (व्य) मानुषोत्तर के प्रवाल कूटपर रहनेवाला देव ५।६०६ सुफल्गु (व्य) समुद्रविजयका पुत्र ४८/४४ www.jainelibrary.org

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