Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 993
________________ शब्दानुक्रमणिका ९५५ विमुक्ति - मोक्ष ११५ विरजा (भौ) विदेहको एक नगरी ५।२६२ विरागविचय (पा) धर्म्यध्यान का एक भेद ५६।४६ विराट (व्य) विराटनगरका राजा ४६।२३ विराट नगर (भौ) एक नगर ४६।२३ विवर्द्धनकुमार (व्य) भरतचक्र वर्तीके ९२३ पुत्रों में से एक पुत्र, जो अनादि मिथ्या दृष्टि थे १२॥३ विवादी = स्वरप्रयोगका एक प्रकार १९।१५४ विबुध-देव २।४२ दक्षिण दिशासम्बन्धी कूट ५७०९ विमल (पा) स्फटिकसालका पूर्व गोपुर ५७४५७ विमल (भौ)वि.उ. नगरी २२।९० विमल (व्य) समुद्रविजयका मन्त्री ५०।४९ विमल (भौ) रुचिकगिरिका पूर्व दिशासम्बन्धी · एक विशिष्ट कूट ५।७१९ विमल (भौ) सौधर्म युगलका दूसरा इन्द्रकपटल ५६।४४ विमल (व्य) तेरहवें तीर्थंकर १११५ विमलप्रम (व्य) अरिवरसमुद्र के रक्षक देव ५।६४२ विमल कूट (भो) सौमनस्य पर्वतका एक कूट ५।२२१ विमानपतिव्रत = एक व्रत विशेष ३४।८६ विमलवाहन (व्य) आगामी चक्रवर्ती ६०१५६५ विमलवाहन (व्य) विदेहके एक तीर्थकर ३४१८ विमलसंज्ञ (व्य) आगामी तीर्थ कर ६०१५६२ विमलप्रमा (व्य) विशृंगपुरके राजा प्रचण्डवाहनकी स्त्री ४५।९६ विमलश्री (व्य) श्रीधर और श्रीमतीकी पुत्री ६०।११७ विमला (व्य) ज्वलनवेगकी स्त्री १९८३ विमर्दन (भौ) पांचवीं पृथिवी के प्रथम प्रस्तारसम्बन्धी तमइन्द्रककी दक्षिण दिशामें स्थित महानरक ४१५६ विमानपक्ति वैराज्य = व्रत विशेष ३४॥१२९ २२७१ विशल्यकरण = विद्यास्त्र २५१४९ विशरारुता = भंगरता-अनित्यता १६.३२ विशाखगणी (व्य) मुनि सुव्रत नायका गणधर १६॥६८ विशालाक्ष (व्य) कुण्डलगिरिके स्फटिकप्रभकूटका निवासी देव ५।६९४ विशाख (व्य) दशपूर्वके ज्ञाता एक आचार्य ११६२ विशाख (व्य) मल्लिनाथका प्रथम गणधर शिष्टक कूट ( भौ ) सौमनस्य पर्वतपर स्थित एक कूट ५।२२१ विशेषत्रयवादिन् = विशेषत्रयके रचयिता ११३७ विश्व= समस्त २।९० विश्व (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।१७ विश्वा (व्य) राजा प्रचण्डवाहन को पुत्री ४५१९८ विश्वजनीन-सबका हित करने वाले ३९।४ विश्वरक (पा) स्फटिकमालका पूर्व गोपुर ५७।५७ विश्वभूति (व्य) राजा सगरका पुरोहित २३।५६ विश्वसेन (व्य) भगवान् शान्ति नाथ के पिता ४५।१८ विश्वसेन (व्य) एक राजा ६०५८ विश्वरूप (व्य) धरणका पुत्र ४८।५० विश्वावसु (व्य) राजा वसुका पुत्र १७:५९ विश्रुत (पा) समवसरणके स्फ टिक सालके पूर्व गोपुरका नाम ५६५७ विषद (व्य) उग्रसेनके चाचा शान्तनुका पुत्र ४८।४० विषय = देश २।१४९ विष्टप = लोक ३।३५ विष्टरश्रवस् (व्य) कृष्ण ५४।४९ विष्णु (व्य) श्रीकृष्ण ११९८ विष्णु (व्य) एक श्रुतकेवली आचार्य ११६१ विष्णु (व्य) एक राजा ५०।१३० विष्णु (व्य) महापद्म चक्रवर्ती का पुत्र, जो कि मुनि होनेपर विक्रिया ऋद्धिका धारक हुआ ४५।२४ विष्णुसञ्जय (व्य) कृष्णका पुत्र ४८/६९ विष्णुस्वामी (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।३९ विष्वक्सेन ( व्य ) जम्बूपुरके राजा जाम्बवका पुत्र४४१५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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