Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
View full book text
________________
९५४
वीर (व्य) स्तिमितसागरका पुत्र ४८४६
वीर (भौ ) सौधर्म युगलका पाँचवाँ इन्द्रक ६।४४ वीरसेन (व्य) वटपुरका राजा ४३।१६३
वीरसेन गुरु (व्य) पट्खण्डागम के टीकाकार वीरसेनाचार्य
१३९
वीर्य (व्य) कुरुवंशका एक राजा
४५।२७
वीर्यपुर ( भी ) यादवोंकी निवासभूमिका एक नगर ४१४४ वीराख्य (व्य ) जरासन्धका पुत्र ५२०१३३
atra (पा) पूर्वगत थुतका एक भेद २।९८ विद्यार=भवनवासी देवोंका एक भेद ४१६४
वि (व्य) विद्याधर वज्रट्रीट और विद्युत्प्रभाका पुत्र २७।१२१
विदं (व्य ) सुवक्त्रका पुत्र १३।२४
त्रिदं (व्य ) गगनवल्लभ नगरका विद्याधर २७|१ विद्युद्वेग (व्य) विद्युद्दासका पुत्र १३।२४
विद्युद्वेग (व्य) वसुदेवका श्वसुर
( मदनवेगाका पिता) २५/३७ विद्युत्प्रम ( भी ) मेरुसे दक्षिण
पश्चिम कोण में स्थित एक स्वर्णमय पर्वत ५।२१२ विद्युत्प्रभ (व्य) हिमवत्का पुत्र
४८।४७
विद्युत्प्रमकूट ( भौ) विद्युत्प्रभ
पर्वतका एक कूट ५।२२२ विद्युत्प्रभ ( भी ) वि. उ. नगरी
२२।९०
Jain Education International
हरिवंशपुराणे
विद्युत्प्रभा (व्य ) वज्रदंष्ट्रकी स्त्री २७।१२१ विद्युदाभ (व्य) विद्युत्वान्का पुत्र १३।२४
विद्यानुवाद (पा) पूर्वगत श्रुतका एक भेद २१९९ विद्युन्मुख (व्य) वज्रवान्का
पुत्र १३।२४
विद्युन्मति
(व्य) विद्युगी
स्त्री ६०१८९
(व्य ) विद्युष्ट्रका पुत्र १३।२४
विद्युन्माली (व्य ) जरासन्धका
पुत्र ५२३५
विद्रावण (व्य ) रावणका पुत्र
agar
४५४७
विद्रुत = भाग गयीं ५१।४२ विद्रुम (व्य) बलदेवका पुत्र
४८।६७
विनमि (व्य) भगवान् वृषभदेव
के सालेका पुत्र ९।१२८ विनमि (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२।६८
विनयदत्त (व्य ) एक मुनि ४६।५५
विनयश्री (व्य ) अपराजितकी पुत्री ६०।१०५ विनयश्री (व्य ) रुद्रदत्तकी स्त्री ६०१८७ विनयसम्पन्नता ३४।१३३ विनया (व्य ) सुराष्ट्र देशकी अजाखुरी नगरीके राजा राष्ट्रवर्धनकी स्त्री ४४/२६ विनिहात्र ( भौ) देशका नाम १११७४
विनीत (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२१६३
विनीता (भौ ) अयोध्या ११।५६
= भावना
For Private & Personal Use Only
विनेय = शिष्य २।१०३ विन्दुसार (व्य ) वप्रथुका पुत्र
१८/२०
विन्ध्य (भौ ) दूसरी पृथिवीसम्बन्धी प्रथम प्रस्तारके इन्द्रक विलकी दक्षिण दिशामें स्थित महा भयानक नरक ४।१५३ विन्ध्यसेन (व्य ) वसुन्धरपुरका
राजा ४५॥७० त्रिपञ्ची = वीणा १९।७७ विपश्चित् = विद्वान् २२।१०९ विपाकविचय (पा) धर्म्यध्यानका एक भेद ५६।४५ विपाकसूत्राङ्ग (पा) द्वादशांगका एक भेद २।९४.
विपुल (व्य ) आगामी तीर्थंकर ६०।५६०
विपुल (भौ) राजगृहीको एक पहाड़ीका नाम ३५४ विपुलबुद्धि = विपुलमति मन:
पर्ययज्ञानी ३४८ विपुलमति (पा) मन:पर्ययज्ञानका एक भेद १०/१५३ विपुलवाहन (व्य) सातवाँ कुल
कर ७।१५६
विपृथु (व्य ) एक राजा ५०।१२६
विप्रकृष्ट= दूरवर्ती ११५४ विभक्ति = पदगतगान्धर्व की विधि १९।१४९
विभीषण (व्य ) नारायण ( रत्नायुधका जीव ) २७।११२
रत्नप्रभा
विभु (व्य) प्रभुका पुत्र १३।११ विभ्रान्त ( भी ) पृथिवीके प्रस्तारका इन्द्रक विल ४।७७ विमल ( भौ ) रुचिकगिरिका
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 990 991 992 993 994 995 996 997 998 999 1000 1001 1002 1003 1004 1005 1006 1007 1008 1009 1010 1011 1012 1013 1014 1015 1016 1017