Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 990
________________ ९५२ वारिषेणा (व्य) दिक्कुमारी देवी ५।२२७ वारुण-विद्यास्त्र २५।४७ वारुणी = मदिरा ६१।५१ वारुणी ( व्य ) रुचिकगिरिके कांचनकूटपर रहनेवाली देवी ५।७१६ वारुणी (व्य) मृगायण ब्राह्मणकी पुत्री २७।६२ वारुणीवरद्वीप (भी) चौथा द्वीप ५।६१४ वारुणीवरसमुद्र ( भी ) चोथा समुद्र ५।६१४ वा मूलिक = विद्याधरोंकी एक जाति २६।२२ वार्ष्णेय (व्य ) अनावृष्टि नामक कृष्णका सेनापति ५१।४१ वलि (व्य) उज्जयिनीके राजा श्रीधर्माका मन्त्री २०१४ वाला (पा) 'आठ रथरेणुओंका एक उ भो. मनुष्यका वालाग्र होता है ७।३९ वासव = इन्द्र २४४ वासव (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।३८ वासव ( व्य ) कुरुवंशका एक राजा ४५।२६ वासव (व्य) अरिष्टपुरका राजा ६०।७५ वासव (व्य) राजा वसुका पुत्र १७१५८ वासव (व्य) नमिका पुत्र २२ । १०८ वासवीर्य (पा) स्फटिक सालका पूर्व गोपुर ५७/५७ वासुकि (व्य) कुण्डलगिरिके महाप्रभ कूटका निवासी देव ५।६९२ वासुकि (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२/३७ Jain Education International हरिवंशपुराणे वासुकि (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।२६ वासुकि (व्य ) धरणका पुत्र ४८/५० वासुदेव (व्य) श्रीकृष्ण ११९१ वासुपूज्य (व्य) बारहवें तीर्थकर ३।५७ वासुवेग व्य जरासन्धका पुत्र ५२/३९ वास्तुक्षेत्र प्रमाणातिक्रम (पा) परिग्रहपरिमाणाणु व्रतका अतिचार ५८।१७६ वास्य = क्षेत्र ११।५८ वाह्लीक (भी) देशविशेष ३१५ वाह्लोक (व्य ) एक राजा ५०१८४ वाहिनी = सेना ५०।६६ वाहिनी = नदी २।१६ विकचा (व्य) राजा चूलिककी स्त्री ४६।२६ विकचोत्पला (पा) समवसरण के चम्पक वनकी वापिका ५७१३४ विक्रान्त (व्य) एक राजा ५०।१३२ विक्रान्त ( व्य ) एक राजा ५०१८५ विक्रान्त ( भी ) रत्नप्रभा पृथिवी के तेरहवें पटलके इन्द्रक विलका नाम ४।१०१ विकृत्य ( अ. क्रि. ) विक्रिया से बनाकर २।३० विघृण = निर्दय ३५।३१ विक्षेप = तालगत गान्धर्वका एक प्रकार १९।१५० विख्यातामृतधार (भी) वि. द. नगरी २२।१०० विघ्न (पा) ज्ञाना. और दर्शना. का आस्रव ५८ ९२ For Private & Personal Use Only विचित्र ( भी ) नीलकुलाचलकी दक्षिण दिशामें सीता नदीके पूर्वतटपर स्थित एक कूट ५।१९१ विचित्र (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।२७ विचित्रवोर्य (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।२८ विचित्रमति (व्य ) चित्रबुद्धि और कमलाका पुत्र२७ ९८ विचित्रा (व्य) नन्दन वनमें रहनेवाली दिक्कुमारी ५।३३३ विच्छुरित: = व्याप्त १५।१६ विजय ( भी ) वि. उ. नगरी २०१८६ विजय (व्य ) अन्धकवृष्णि और सुभद्राका पुत्र १८ ।१३ विजय व्य ) नमिका पुत्र २२।१०८ विजय (व्य) द्वितीय जम्बूद्वीपका रक्षक देव ५।३९७ विजय (पा) समवसरणके स्फटिक शालके पूर्व गोपुरका नाम ५७/५७ विजय (व्य ) वसुदेवका पुत्र ५०।११५ विजय (भौ ) अनुत्तर विमान ६।६५ विजय (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।१५ विजय ( व्य ) दशपूर्वके ज्ञाता एक आचार्य १।६३ विजय (भौ ) जम्बूद्वीप की जगती का पूर्व द्वार ५।३९० विजय ( व्य ) विजयद्वारमें रहनेवाला एक व्यन्तर ६०/६० विजय (व्य) जयकुमारका छोटा भाई १२।३२ www.jainelibrary.org

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