Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 984
________________ हरिवंशपुराणे योषित् = स्त्री २८ [ र ] द्वारा रचित युक्त्यनुशासन नामका ग्रन्थ और युक्ति युक्त अनुशासन ११२९ युग (व्य) पाँच वर्षका एक युग होता है ७।२२ युगन्त ( व्य) विजयका पुत्र ४८१४८ युग्म = स्त्री-पुरुषोंका युगल ७.९१ युग्य =बैल ४३१२ युगल (व्य) सहदेव और नकुल युधवरोधन (व्य) दुर्योधनका वंशज ६५।१९ युधिष्ठिर (व्य)पाण्डव ४५२ यूका (पा) आठ लिक्षाओंकी ___ एक यूका ७४० यूपकेसर (भी) लबणसमुद्रका उत्तर दिशास्थित पाताल ५।४४३ योग (पा) आत्मप्रदेशोंका कम्पन ५८।५७ योगनिःप्रणिधान (पा) सामा यिक व्रतके अतिचार, इसके तीन भेद है ५८११८० योजन(पा) आठ हजार दण्डका एक योजन ७।४६ योजन (पा) अकृत्रिम चीजों के नापमें दो हजार कोशका एक योजन होता है और कृत्रिम चीजोंके नापमें चार कोशका ४।३६ योजनगन्धा (व्य) शन्तनुकी स्त्री ४५।३१ योनिविकल्प = सचित्त, अचित्त, सचित्ताचित्त, शीत, उष्ण, शीतोष्ण, संवृत, विवृत, संवृत-विवृत ये नौ योनियाँ २।११६ रक्तकम्बला (भौ) पाण्डुकवनके वायव्यमें स्थित शिला ५।३४७ रौरव (भी) सातवीं पृथिवीके अप्रतिष्ठान इन्द्रककीदक्षिण दिशामें स्थित महानरक ४/१५ रुक्मि कूट (भौ) रुक्मिकुलाचल का दूसरा कूट ५।१०२ रुक्मिन् (भौ) जम्बूद्वीपका छठा कुलाचल ५।१५ रवि (व्य) राजा वसुका पुत्र १७१५९ रोहिणी(पा) पांच सौ महाविद्या ओंमें से एक १०।११५ रोहिणी (व्य) अरिष्टपुरके राजा रुधिरकी पुत्री ३१।११ रौरुक (भौ) रत्नप्रभा पृथिवीके तृतीय प्रस्तारका इन्द्रक विल ४७६ रूपगता (पा) दृष्टिवाद अंगके चूलिकाभेदका उपभेद १०।१२३ रूपसस्य (पा) दस प्रकारके सत्योंमें-से एक सत्य १०.९९ रूपवर (भौ) अन्तिम सोलह द्वीपोंमें सातवाँ द्वीप५।६२३ रोहितकूट (भौ) हिमवत् कुला चलका सातवाँ कूट ५।५४ रोहिताकूट (भौ) महाहिमवत् कुलाचलका चौथा कूट ५.७१ राजीमती (व्य) भगवान् नेमि नाथका जिसके साथ विवाह होनेवाला था ११११४ रम्या (भी) पूर्वविदेहका एक देश ५।२४७ रम्यक (भौ) जम्बूद्वीपके नील और रुक्मिकुलाचलके मध्य__ में स्थित पाँचवाँ क्षेत्र५।१३ रोहिणी (व्य) वसुदेवकी स्त्री १२८६ रोहिणी - एक विद्या २७।१३१ रोहित, लोहिताङ्क (व्य) लवण समुद्रमें उदक और उदवास पर्वतोंके निवासी दो देव ५।४६३ रोहितास्या (भौ) एक महानदी ५।१२३ रोहया (रोहित्) (भौ) चौदह महानदियोंमें एक नदी ५।१२३ रवती (व्य) अरिष्टपुरनिवासी रेवतकी पुत्री बलदेवकी स्त्री ४४।४१ रेवती (व्य) एक धाय ३३११४४ रवि (व्य ) रविषेणाचार्य ११३४ रेवत (व्य) अरिष्टपुरके राजा हिरण्यनाभका बड़ा भाई ४४।४० रमणीया (भौ) पूर्वविदेहका एक देश ५।२४७ रम्यककूट (भौ) नील कुलाचल का आठवाँ कूट ५।१०१ रम्यककूट(भौ) रुक्मिकुलाचलका तीसरा कूट ५।१०२ रम्यका (भी) पूर्वविदेहका एक देश ५।२४७ रम्यपार्वतेय (भो) वि. उ. नगरी २२।९८ रुक्मी (व्य) कुण्डिनपुरके राजा भीष्मका पुत्र रुक्मिणोका भाई ४२।३४ www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International

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