Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 987
________________ वज्रदं (व्य) वसुदेव और बालचन्द्राका पुत्र ४८/६५ वज्रधर्म (व्य) सत्यकका पुत्र ४८१४२ वज्रध्वज (व्य) वज्रदंष्ट्रका पुत्र १३।२२ वज्रनाभ (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।३४ वज्रनाभि (व्य) भगवान् ऋषभदेवका पूर्वभव ९५९ वज्रपाणि (व्य) वज्रास्यका पुत्र १३।२३ वज्रपाणि (व्य ) नभस्तिलक नगरका राजा २५१४ वज्रपुर (भौ) राजा अमरके द्वारा बसाया नगर १७।३३ वज्रप्रभ ( भी ) कुण्डलगिरिको पूर्वदिशाका कूट ५।६९७ वज्रप्रभ ( भी ) सौमनसवनका एक भवन ५।३१९ वज्रबाहु (व्य) वजाभका पुत्र १३।२३ वज्रबाहु (व्य) विनमिका पुत्र २२।१०५ वज्रबाहु (व्य) दीर्घबाहुका पुत्र १८२ वज्रमानु (व्य) वज्रपाणिका पुत्र १३।२३ वज्रभृत् (व्य) सुवयका पुत्र १३।२२ वज्रमध्यविधि (व्य) एक उपवासव्रत ३४।६२-६३ वज्रमयवप्र (पा) समवसरणका वज्रनिर्मित कोट ५७/२० वज्रमय ( भी ) मेरुकी एक परिधि ५/३०५ वज्रमुख ( भी ) पद्मसरोवरका वह द्वार जिससे गंगा निकली है ५।१३६ Jain Education International शब्दानुक्रमणिका वज्रमुखकुण्ड (भौ ) पृथिवीपर स्थित एक कुण्ड जिसमें गंगा गिरती है ५।१४२ वज्रमुष्टि (व्य) एक पुरुष ६०।५१ वज्रमुष्टि (व्य) दृढमुष्टि और वप्रश्रीका पुत्र ३३।१०४ वज्रायुध (or) चक्रायुध और चित्रमालाका पुत्र ( राजा सिंहसेनका जीव ) वज्रायुध (व्य ) वज्रध्वजका पुत्र १३।२२ वज्रवर ( भो) अन्तिम सोलह दीपोंमें नौवीं दोष ५६२४ वज्रवान् (य) वज्रभानुका पुत्र १३।२३ वज्रसुन्दर (व्य) वज्रांकका पुत्र १३।२३ वज्रसूरि (व्य) एक प्राचीन आचार्य १।३२ वज्रसेन (व्य) वजंघका पुत्र १३।२१ वज्रा (भी) रत्नप्रभाके खरभागका दूसरा पटल ४१५२ बज्राङ्क (व्य ) बखवाहुका पुत्र १३।२३ बनाम (व्य) बज्रभृतका पुत्र १३।२३ वज्रास्य (व्य ) बज्चसुन्दरका पुत्र १३।२३ वटपुर (भो) एक नगर४३ । १६३ वडवामुख (भौ) लवणसमुद्रका दक्षिण दिशास्थित पाताल ५१४४३ वणिज्या व्यापार १८।९९ वरस (भी) देशविशेष ११।७५ वरसकावती (भी) पूर्वविदेहका एक देश ५|२४७ वत्सदेश (भी) प्रयागका समीपवर्ती प्रदेश १४|१ For Private & Personal Use Only ९४९ वरसमित्रा (व्य) दिनकुमारी देवी ५४२२७ वसा (भी) पूर्वविदेहका एक देश ५।२४७ वतंसकूट ( भी ) मेहसे उत्तर सीता नदीके पश्चिम तटपर स्थित एक कूट ५१२०८ वदर = वेर ७१६९ वध ( प ) असातावेदनीयका आस्रव ५८।९३ वनक (भी) शर्कराभा पृथिवीके चतुर्थप्रस्तारका इन्द्रकविल ४|१०८ वनमाला (व्य ) कौशाम्बीकी एक स्त्री १४।५१ बनमाला ( भी ) सानत्कुमार युगलमें दूसरा इन्द्रक६ ॥ ४८ वनवास्य ( भी ) चरम के द्वारा बसाया हुआ एक नगर १७।२७ वन्दना=आवर्त्त तथा शिरोनमि आदिकी क्रिया करना ३४ । १४४ वन्दना (पा) अंगबाह्य श्रुतका एक भेद २।१०२ वन्धुमती (व्य ) हस्तिनापुर के सेठकी स्त्री ३३।१४१ प्रश्री (व्य) दृढमुष्टिको स्त्री ३३।१०३ वप्रा (भौ ) पश्चिम विदेहका एक देश ५।२५१ कावती (भौ) पश्चिम विदेहका एक देश ५०२५१ वप्रथु (व्य ) सुमित्रका पुत्र १८ १९ वर (पा) स्फटिक सालका पूर्व गोपुर ५७१५७ वरकुमार (व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।१७ www.jainelibrary.org

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