Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 986
________________ ९४८ लिक्षा (पा) आठ वालाग्रोंकी एक लिक्षा ७।४० लेण (भौ) देवोंका उत्पत्तिस्थान ५।४०३ लेश्या (पा) आग्रायणी पूर्वके चतुर्थ प्राभृतका योगद्वार १०।८३ लेश्या कर्म (पा) आग्रायणी पूर्वके चतुर्थ प्राभृतका योगद्वार १०१८३ लेश्या परिणाम (पा) अत्रायणी पूर्वके चतुर्थ प्राभृतका योग द्वार १०८४ लोक (पा) अनन्त आकानके मध्य में स्थित पुरुषाकार १४ राजुप्रमाण आकाश ४|४ लोक पूरण (पा) लोक पुरण समुद्घातका चौथा चरण ५६।७४ लोकबिन्दुसार (पा) पूर्वगत श्रुतका एक भेद २।१०० लोकसंस्थान=लोकका आकार १।७१ लोकस्तूप (पा) समवसरण के स्तूप ५७/९४ लोकाभिनन्दन (वि) जनसमूहको आनन्दित करनेवाले १।६ लोकोत्सादन ( व्य ) विद्यास्त्र २५/४७ लोच (पा) मुनियों का एक मूलगुण- केश उखाड़ना २।१२८ कोल (भी) शर्कराप्रभा पृथिवी - के नवम प्रस्तारका इन्द्रक विल ४।११३ कोलुप ( भी ) शर्कराप्रभा पृथिवीके दशम प्रस्तारका इन्द्रक विल ४|११४ Jain Education International हरिवंशपुराणे लोहजङ्घ (व्य ) समुद्रविजयका दूत ५०/५६ लोहाचार्य (व्य) आचारांग ज्ञाता एक आचार्य १६५ लोहित ( भी ) पाण्डुक वनका एक भवन ५।३२२ लोहिताक्ष (भी) सौधर्मयुगलका चौबीसवाँ इन्द्रक ६।४७ लोहिताक्ष कूट ( भी ) मानुषोत्तरकी दक्षिण दिशाका एक कूट ५१६०३ लोहिताक्ष कूट (भी) गन्धमादन पर्वतका एक कूट ५।२१८ लोहिताङ्ग ( भो रत्नप्रभाके खर भागका चौथा पटल ४/५२ लोहिताख्य (भौ) रुचिकगिरिका पश्चिम दिशासम्बन्धी कूट ५।७१२ लोहिताक्षमय ( भी ) मेरुकी एक परिधि ५।३०५ लौकान्तिक (व्य) पाँचवें स्वर्गके अन्तमें रहनेवाले देवविशेष २।४९ [व] वक (व्य) एक राजा ५०१८४ वकुश (पा) मुनिका एक भेद ६०१५८ वक्रान्त (भौ) रत्नप्रभा पृथिवी के ग्यारहवें प्रस्तारका इन्द्रक विल ४।७७ वक्रोक्ति (व्य) शान्तिषेण द्वारा रचित ग्रन्थविशेष १।३६ बङ्ग (भौ) देशका नाम ११ ६८ वचोहर = दूत ५०/४६ वज्र ( भी ) अनुदिश ६।६३ वज्र (व्य ) वज्रायुधका पुत्र १३।२२ For Private & Personal Use Only वज्र (भौ ) सौधर्मयुगलका पचीसवाँ इन्द्रक ६।४७ वज्र ( भी ) कुण्डलगिरिका पूर्व दिशासम्बन्धी कूट ५/६९० वज्र ( भी ) सीमनस वनका एक भवन ५।३१९ वज्र (व्य ) अभिनन्दननाथका प्रथम गणधर ६० । ३४८ वज्र (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२।६७ वज्र (व्य) एक राजा ५०।८१ वज्र = हीरा २११० वज्रककूट ( भी ) मानुषोत्तरकी ऐशान दिशाका एक कूट ५/६०६ वज्रकपाट (भी) वज्रमुख कुण्ड में स्थित पर्वतपर बने गृहका द्वार ५।१४७ वज्रकाण्डधनुः धनुष ११।५ वज्रकूट ( भी ) मानुषोत्तर पर्वतकी ऐशान दिशाका एक कूट ५६०१ वज्रकूट ( भी ) नन्दन वनका एक कूट ५।३३० वज्रखण्डिक (भौ) देशविशेष ११।७५ वज्रजङ्घ (व्य) चन्द्ररथका पुत्र १३।२१ वज्रचमर (व्य ) पद्मप्रभका गणधर ६० । ३४७ वज्रजङ्घ (व्य) भगवान् ऋषभदेवका पूर्वभव ९।५८ वज्रदत्त ( व्य ) एक मुनि २७/९६ वज्रदंष्ट्र (व्य ) वज्रसेनका पुत्र १३।२२ वज्रदंष्ट्र (व्य ) एक विद्याधर २७।१२१ = चक्रवर्तीका www.jainelibrary.org

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