Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 953
________________ चक्रपाणि = कृष्ण ३५।३९ चक्रपाणिजिनार- चक्रवर्ती और तीर्थंकर पदके धारक अठारहवें अरनाथ जिनेन्द्र १२० चक्रपुर (भो) एक नगर २७१८९ चक्रवर्तिन् (वि) छत्रखण्ड पृथिवीके स्वामी १११९ चक्रवाल (भी) वि. द. नगरी २२।९३ चक्रव्यूह (पा) सेनाके निवेशका एक प्रकार५०।१०३-१११ चक्रा (भी) विदेहकी एक नगरी ५।२६३ चक्रायुध (व्य) शान्तिनाथका प्रथम गणधर ६०।३४८ . चक्रायुध (व्य) चक्रपुरके राजा अपराजित और सुन्दरीका पुत्र २७।९० चक्री = श्रीकृष्ण नारायण ५४।३० चक्रेश (वि) चक्ररत्नके स्वामी चकवर्ती १११८ चक्षुष्मान् (व्य)मानुषोत्तर पर्वत का रक्षक देव ५।६३९ चक्षुष्मान् (व्य) आठवाँ कुलकर ७.१५७ चञ्चत् ( भो) सौधर्म युगलका ग्यारहवाँ इन्द्रक ६.४५ चञ्चला= बिजली १५३१७ चण्डरोचिष = सूर्य ३१३४ चण्डबाण (व्य) एक व्याध ६०११११ चण्डवेग (व्य) विद्युद्वेगका पुत्र २५/४० चण्डवेगा (भौ) वरुण पर्वतके समीप पंच नदोंके समागम की एक नदी २७।१४ चतुरङ्गा(वि) हाथी, घोड़ा, रथ, शब्दानुक्रमणिका पैदल सिपाही इन चार अंगोंसे सहित, सेना २०७१ चतुर्थक-एक उपवास ३४।१२५ चतुर्थ काल (पा) सुषमा काल २६ चतुर्दश पूर्विन् = उत्पाद पूर्व आदि १४ पूर्वोके ज्ञाता ११५८ चतुर्मुख (व्य) सातवां नारद ६०१५४८ चतुर्विंशतिस्तव (पा) अंगबाह्य श्रुतका एक भेद २।१०२ चतुरस्र = चौकोन ३१५३ चतुरष्टका = बत्तीस ५।२४४ चतुरस्रानुयोग (पा) १ प्रथमा नुयोग, २ करणानुयोग, ३ चरणानुयोग, ४ द्रव्यानु योग ५८।४ चतुष्क= चौक ५।२६६ ।। चतुस्त्रिशद् महाद्भुत= चौंतीस अतिशय १० जन्मके १० केवलज्ञानके १४ देवकृत २०६७ चन्दनपुर (भो। एक नगर ६०८१ चन्दनवन(भी) एक नगर २९।२४ चन्दना (व्य) राजा चेटककी लघुपुत्री २०७० चन्द्र (भो) रुचिकगिरिका दक्षिण दिशासम्बन्धी कूट ५।७१० चन्द्र (व्य) आगामी बलभद्र ६०१५६८ चन्द्र (व्य) चन्द्र नामक देव ६०११०८ चन्द्र (भौ) नील पर्वतसे साढ़े पांच सौ योजन दूर, नदीके मध्यमें स्थित एक ह्रद ५।१९४ For Private & Personal Use Only चन्द्र (व्य) अभिचन्द्रका पुत्र ४८.५२ चन्द्र (व्य) राजा उग्रसेनका पुत्र ४८३९ चन्द्र (भी) सौधर्म युगलका तीसरा इन्द्रक ६.४४ चन्द्रकान्त (व्य) वसुदेव और सोमदत्तकी पुत्रीका पुत्र ४८.६० चन्द्रकान्ता ( व्य) शूरसेनकी स्त्री ३३।९९ चन्द्रचूड (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२१६७ चन्द्रधर (व्य) आगामी बल ६०५६८ चन्द्रदेव (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।४० चन्द्रपर्वत (भी) वि. द. नगरी २२।९७ चन्द्रप्रज्ञप्ति(पा) परिकर्म श्रुतका एक भेद १०१६२ चन्द्रप्रम (व्य) अष्टम तीर्थकर ११० चन्द्रप्रभा (व्य) चन्द्रकी स्त्री ६०।१०८ चन्द्रमात (व्य) मरुचन्द्र का स्त्रा ६०११०३ चन्द्रमाल (भौ) पश्चिम विदेह का वक्षार गिरि ५।२३२ चन्द्रयश (व्य) एक राजा ५०११२८ चन्द्ररथ (व्य) रत्नचिह्नका पुत्र १३।२१ चन्द्रवती (व्य) वीतभय नगरके राजा मेरुकी स्त्री ४४।३३ चन्द्रवर्मा (व्य) कृष्णका पुत्र ४८७१ चन्द्रवर्मा (व्य ) एक राजा ५०।१३२ www.jainelibrary.org Jain Education International

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