Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 951
________________ शब्दानुक्रमणिका ९१३ : गन्धमालिनी (भौ) जम्बूद्वीप विदेह क्षेत्रका एक नगर २७।११५ गन्धमालिनी (भौ) पश्चिम विदेहका एक देश ५।२५१ गन्धमालिनी (भी) जम्बूद्वीप विदेह क्षेत्रका एक देश २७१५ गन्धमालिनीका कूट ( भो) गन्धमादनका एक कूट ५।२१७ गन्धमित्र (व्य) एक राजा २७।१०२ गन्धर्व (भौ)मेरुके नन्दन वनकी पश्चिम दिशामें स्थित एक भवन ५।३१५ गन्धर्व = विद्या निकायका नामान्तर २२१५८ गन्धर्वसेना (व्य) एक कन्या जिसका वसूदेवके साथ विवाह हुआ १९८१ गन्धर्वसेना (व्य) चारुदत्तकी कन्या १९।१२३ गन्धर्वसेना ( व्य ) अमितगति विद्याधरकी विजयसेनासे उत्पन्न पुत्री जो चारुदत्तके द्वारा वसुदेवको दो गयी २१११२० गन्धवत् (भी) हरण्यवत क्षेत्रके मध्यमें स्थित एक गोलाकार पर्वत ५।१६१ गन्धसमृद्ध (भौ) वि. द. नगरी २२।९४ गन्धसमृद्ध (भी) वि. द. के गान्धार देशका एक नगर ३०१६ गन्धा (भी) पश्चिम विदेहका एक देश ५।२५१ गन्धार (व्य)वसुदेव और प्रभावतीका पुत्र ४८।६३ ११५ Jain Education International समृद्ध नगरका राजा ३०१६ गन्धावतो(भो)एक नदी६०।१६ गम्भीर (व्य) एक राजा ५०११३१ गम्भीर ( व्य ) कृष्णका पुत्र ४८.७० गरुड (भौ) सानत्कुमार युगलका चौथा इन्द्रक ६।४८ गरुडकान्त (व्य) सेनकान्त (व्य) चित्रचूल और मनोहरीके युगल पुत्र ३३३१३३ गरुडदण्ड (व्य) सिंहपुरका एक गारुडिक, सर्पविषको दूर करनेवाला २७१४९ गरुडध्वज गरुडवाहन चित्रचूल और मनोहरीके युगल पुत्र ३३३१३३ गरुडव्यूह (पा) समुद्रविजयकी सेनाका निवेश प्रकार ५०।११३-१२९ गरुडाङ्क (व्य) वृषभध्वजका पुत्र १३३११ मरुस्मान् (व्य) जरासंधका पुत्र ५२।३९ गव्यूति = कोश ४।३५५ गाण्डीव = एक धनुष ४५।१२६ गान्धर्वसेना (व्य) एक विद्या धरपुत्री जो चारुदत्तके द्वारा वसुदेवको विवाही गयी २१११ गान्धर्वसेनक (व्य) विद्याओंका एक भण्डार २२।५६ गान्धार = एक स्वर १९।१५३ गान्धार (भौ) देशविशेष गान्धार विद्याधर = विद्याधरों की एक जाति २६७ गान्धारी (व्य) इन्द्रगिरि और मेरुसतीकी पुत्री कृष्णकी एक पट्टराज्ञी ४४।४६ गान्धारी = एक विद्या २२१६५ गान्धारी-मध्यम ग्रामके आश्रित जाति १९।१७६ गान्धारोदीच्यका%= मध्यम ग्राम के आश्रित जाति१९।१७६ गन्धिका (भौ) पश्चिम विदेहका ___एक देश ५।२५१ गन्धिका (भौ) धातकी खण्डके पूर्व मेरुसे पश्चिम विदेहका एक देश २७।१११ गिरि ( व्य) वसुगिरिका पुत्र १५।५९ गिरि(व्य) अचलका पुत्र ४८०४९ गिरिकूट. ( भो ) एक पर्वत २११०२ गिरितट (भौ) विजयाधंका एक नगर २३।२६ गिरिनगर (भौ) सौराष्ट्रका एक नगर ६०७२ गीति =तालगत गन्धर्वका एक प्रकार १९:१५१ ।। गुणश्रेणी (पा) सम्यग्दृष्टि श्रावक विरतान्त वियोजक आदि स्थानोंमें होनेवाली निर्जरा गुणधर (व्य) राजा उग्रसेनका पुत्र ४८॥३९ गुणप्रभा (व्य) राजा प्रचण्ड वाहनकी पुत्री ४५१९८ गुणवती (व्य) एक आयिका २७१८२ गुणवती (व्य) आयिका ६४।१३ गुणव्रत (पा) जो अणुव्रतोंका उपकार करे इसके दिग्व्रत, देशव्रत और अनर्थ दण्डके गान्धार = अदितिदेवीके द्वारा विद्याओंका एक निकाय २२।५७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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