Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 949
________________ केवलज्ञान (पा) सकल प्रत्यक्ष ज्ञान १०.१५४ केवलिन् = केवलज्ञानके धारक सर्वज्ञ११५८ केशव = कृष्ण ११११९ केशरिन् (व्य) विजयका पुत्र ४८।४८ - केसरिन् (भौ) नीलकुलाचलका ह्रद ५१२१ कैकय (भौ)देशका नाम १११६६ कैटम(व्योहेमनाथ औरधरावती का पुत्र ४३।१६९ कैशिकी-मध्यम ग्रामके आश्रित जाति १९।१७७ कोदण्ड=(पा) धनुष (चार हाथ का एक धनुष होता है) ४।३३६ कौण्डिन्य (व्य) वैदिक विद्वान् .. शब्दानुक्रमणिका कौशिक(व्य) एक ऋषि२५।११ कौशिक (भौ) वि. उ. नगरी '२२१८८ कौशिक-अदिति देवीके द्वारा विद्याओंका एक निकाय २२१५७ . कौशिक (व्य) एक जटाधारी ___ऋषि २९।२९ कौशिका(भौ)एक नगरी४५।६१ कौस्तुभ, कौस्तुमास (भौ) लवणसमुद्रमें पूर्व दिशाके पाताल विवरकी दोनों ओर स्थित दो पर्वत ५।४६० क्रम = चरण ८८ क्रमण (व्य) मानुषोत्तरके कनक कूटपर रहनेवाला देव ५।६०५ क्वाथतोय (भौ) देशविशेष ३।६ क्वाथतोय (भौ) देशका नाम २०६८ ९११ . क्षत्रिय (व्य) दशपूर्वके ज्ञाता एक आचार्य ११६२ क्षान्ति (पा) सातावेदनीयका आस्रव ५८।१४ क्षायिकसम्यक्त्व (पा) दर्शन मोहकी तीन और अनन्तानुबन्धीकी चार इन सातके क्षयसे होनेवाला सम्यग्दर्शन २।१३७ क्षायोपशमिक (पा) सम्यग्दर्शन का एक भेद ३३१४३ क्षुत = छींक ३५।२४ क्षीणकषाय (पा) बारहवाँ गुण स्थान ३१८३ क्षीरवर द्वीप (भौ) पांचवाँ द्वीप ५१६१४ क्षीरसागर - (भौ) पांचवा . ___समुद्र २।४२ क्षीरकदम्ब (व्य) एक वेदविद् ब्राह्मण १७।३८ क्षीरोद सागर (भौ) पाँचवाँ समुद्र ५।६१४ क्षीरोदा (भौ) विदेहकी एक विभंगा नदी ५।२४१ क्षुद्र (व्य) एक म्लेच्छ ४६।४९ क्षेत्र (पा) खेत-अन्न उपजनेका स्थान २।३ क्षेत्रवृद्धि (पा) दिगवतका अतिचार ५८।१७७ क्षेमंकर (व्य) तीसरा कुलकर ७.१५० क्षेमन्धर (व्य) चौथा कुलकर ७।१५२ क्षेमधूर्त (व्य)एक राजा५०८२ क्षेमपुरी (भौ) सुकच्छा देशकी राजधानी ५।२५७ क्षेमा (भौ) कच्छा देशकी राजधानी ५।२५७ क्षोणी-पथिवी।३।१४ कौत्कुच्य (पा) अनर्थदण्डव्रतका अतिचार ५८1१७९ कोथुमि (व्य) आत्रेयका शिष्य ४५।४५ कौन्तेय युधिष्ठिर आदि पाण्डव ४५।४३ कौमुदी (व्य) श्रीकृष्णको गदा ५३२४९ कौबेर (पा) स्फटिक सालका उत्तर गोपुर ५७४६० कौशल (भौ) एक देश ४६।१७ कौशल्य (भो) देशविशेष ३।३ कौशाम्ब वन (भौ) एक वन ६२११५ कौशाम्बी (भौ) एक नगरी __३३।१३ कौशाम्बी नगरी (भौ)वत्स देश की राजधानी १४२ कौशिक = विद्याधरोंकी जाति २६।१३ क्रियावादी (पा) मिथ्यात्वका एक भेद ५८।१९४ क्रियाविशाल पूर्व (पा) पूर्वगत भेद श्रुतका एक भेद२।१०० क्रूर (व्य) वसुदेवकी विजयसेना स्त्रीसे उत्पन्न पुत्र ४८१५४ क्रौञ्चवर द्वीप (भी) सोलहवा ___ द्वीप ५।६२० क्रौञ्चवर सागर (भौ) सोलहवाँ सागर ५१६२० कंस(व्य) वसुदेवका शिष्य राजा उग्रसेन और पद्मावतीका पुत्र ३३।२ कंस (व्य) जरासन्धका जामाता __उग्रसेनका पुत्र ५०।१४ कंस (व्य) मथुराका राजा११८७ कंसाचार्य (व्य) ग्यारह अंगके ज्ञाता एक आचार्य ११६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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