Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 957
________________ ९१९ जाम्बवती (व्य) जम्बूपुरके राजा जाम्बव और रानी शिव चन्द्राकी पुत्री कृष्णको एक पट्टराज्ञी ४४.५ जारसेय (व्य) जरत्कुमार ६३१५३ जितपद्मप्रमा (वि) कमलकी कान्तिको जीतनेवाली ११८ जितशत्र(व्य) एक राजा, राजा सिद्धार्थकी छोटी बहनका पति ६६।६ जितशत्रु (व्य) श्रावस्तीका एक इक्ष्वाकुवंशीय प्राचीन राजा २८।१७ जितशत्रु ( व्य ) देवकीका पुत्र ६३।१७० जितशत्रु (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२१३४ जितशत्रु (व्य) हरिवंशका एक राजा श१२४ जितशत्र (व्य) एक राजा ३।१८७ जितशत्रु ( व्य ) कलिंगदेशके कांचनपुर नगरका राजा २४।११ जिन = कर्मरूप शत्रुओंको जीतनेवाले जिनेन्द्र श१६ जिनगुण सम्पत्ति = व्रतविशेष ३४।१२२ जिनदत्त ( व्य ) धनदत्त और नन्दयशाका पुत्र १८।११५ जिनदत्ता (व्य ) एक आर्यिका ३३११०० जिनदत्ता (व्य ) एक आर्यिका ६०७० जिनदत्ता (व्य) राजा अर्हद्दास की स्त्री २७।११२ जिनदत्ता (व्य) ज. वि. सुपद्मा शब्दानुक्रमणिका देशके सिंहपुर नगरके राजा अर्हद्दासकी स्त्री ३४।४ जिनदास (व्य) धनदत्त और नन्दयशाका पुत्र १८।११४ जिनपाल (व्य ) धनदत्त और नन्दयशाका पुत्र १८११४ जिनसेन ( व्य) पार्वाभ्युदय आदिके रचयिता जिनसेना चार्य ११४० जिनेन्द्र (व्य) तीर्थकर १०६ जिनेश्वर(व्य) आगामी तीर्थकर ६०.५६० जिह्व (भी) शर्कराप्रभा पृथिवी के सप्तम प्रस्तारका इन्द्रक विल ४।१११ जिह्नक (भो ) शर्करा पृथिवीके अष्टम प्रस्तारका इन्द्रक विल ४११२ जिह्निका (भी) हिमवत् पर्वतके दक्षिण तटपर स्थित एक प्रणाली ५११४० जीवद्यशस (व्य ) जरासन्धकी पुत्री, जो कंसको विवाही गयी ३३७ जीवद्रव्य (पा) चैतन्य लक्षण युक्त जीव २११०७ जीवविचय (पा) धर्म्यध्यानका भेद ५६।४३ जीवसिद्धि ( व्य) समन्तभद्रा चार्यके द्वारा रचित जीवसिद्धि नामक ग्रन्थ और जीवोंको सिद्धि श२९ जीवस्थान (पा) जीवसमास २।१०७ जीवाधिकरण (पा) आस्रवका एक भेद जिसके १०८ भेद होते हैं ५८१८४ जीविताशंसा (पा) सल्लेखनाका अतिचार ५८।१८४ जम्भक (व्य) देवविशेष ४२११७ जभ्भण=विद्यास्त्र २५१४८ जृम्मिक ग्राम (भी) विहार प्रान्तका एक गांव २१५७ जैत्री (पा) समवसरणके सप्तपर्ण वनकी वापिका ५७।३३ जैन (पा) जिनेन्द्रदेवके द्वारा प्रणीत १११ ज्ञातृधर्मकथाङ्ग (पा) द्वाद शांगका एक भेद २।९३ ज्ञानप्रवाद (पा) पूर्वगत श्रुतका एक भेदं २।९८ ज्ञानावरण (पा) ज्ञानगुणको घातनेवाला कर्म ५८०२१५ ज्योतिष्क = सूर्य-चन्द्रमा आदि ज्योतिषी देव ३।१३५ ज्योतिरा = एक कल्पवृक्ष ७८० ज्योतिर्देव - ज्यौतिष्क देव सूर्य चन्द्रमा आदि २१७९ ज्येष्ठ (पा) स्फटिक सालका दक्षिण गोपुर ५७।५८ ज्योतिर्माला (व्य) एक विद्या धरी ६०११८ ज्वलन (व्य) वसुदेवकी श्यामा नामक स्त्रीसे उत्पन्न पुत्र ४८.५४ ज्वलनवेग (व्य) अचिर्माली और प्रभावतीका पुत्र १९८१ ज्वलनप्रमा (व्य) दिव्य नाग कन्या २९।२० ज्वलितवेगा (व्य) विजय नामक व्यन्तरको स्त्री ६०।६० [ झ ] झष (भी) धूमप्रभा पृथिवीके तृतीय प्रस्तारका इन्द्रकविल ४।१४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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