Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 956
________________ ९१८ जम्बूपुर (भी) वि. द. का एक नगर ४४।४ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति (पा) परिकर्म श्रुतका एक भेद १०।६२ जम्बूशङ्कुपुर (भी) वि.द. नगरी २२।१०० जम्बूस्थल ( भो) मेरुपर्वतकी ऐशान दिशामें सीता नदीके पूर्वतटपर नीलकुलाचलका निकटवर्ती प्रदेश जहाँ जामुनका वृक्ष है ५।१७२ जय (व्य) दश पूर्वके ज्ञाता एक आचार्य ११६२ जय (व्य) नमिका पुत्र २२।१०८ जयकुमार (व्य) हस्तिनापुरके राजा सोमप्रभका पुत्र दूसरा नाम मेघस्वर ४३८ जय (व्य) वसुदेवका पुत्र ५०।११५ जय ( व्य) आगामी तीर्थकर ६०१५६१ जय (व्य) एकादश चक्र ६०।२८७ जय (व्य) अनन्तनाथका प्रथम गणधर ६०।३४८ जयकीति (व्य) आगामी तीर्थ __ कर ६०१५५९ जयदेव (व्य) एक गृहस्थ ६०।१०९ जयन्त (व्य) वीतशोका नगरी के वैजयन्त राजाका पुत्र २७१७ जयन्त ( पा) स्फटिक सालका पश्चिम गोपुर ५७१५९ जयन्त ( भो) वि. उ. नगरी २२१८७ जयन्त (भी) भरतक्षेत्रका एक नगर ६०१११७ हरिवंशपुराणे जयन्त ( भो ) अनुत्तर विमान ६।६५ जयन्त (भौ) जम्बूद्वीपकी जगती का पश्चिम द्वार ५।३९० जयन्तगिरि ( भौ) एक पर्वत ४७।४३ जयन्ती = एक विद्या २२१७० जयन्ती (भौ) चरमके द्वारा बसाया हुआ एक नगर १७४२७ जयन्ती (भौ) नन्दीश्वर द्वीपके दक्षिणसम्बन्धी अंजनगिरि की पश्चिम दिशामें स्थित वापिका ५।६६० जयन्ती(व्य) रुचिकगिरिके सर्व रत्न कूटपर रहनेवाली देवी ५।७२६ जयन्ती (व्य) रुचिकगिरिके कनक कूटपर रहनेवाली देवो ५७०५ जयन्ती (भो) विदेहकी एक नगरी ५२६३ जयपुर (भो) एक नगर जहाँ ___वसुदेव गये २४।३० जयराज ( व्य) कुरुवंशका एक राजा ४५।१५ जयसेन (व्य) समुद्र विजयका पुत्र ४८४३ जया = एक विद्या २२१७० जया (पा) समवसरणकी एक वापिका ५७।७३ जयाङ्गण(पा) समवसरणकी एक भूमि ५७।७६ जयावह (भी) वि. उ. नगरी २२।८८ जयोत्तग (पा) समवसरणके सप्तपर्ण वनकी वापिका ५७.३३ जर कुमार(व्य)श्रीकृष्णके मरण में कारण प्रवासी यादव १।१२० जरत्कुमार(व्य) श्रीकृष्णका एक भाई ५२।१६ जरकुमार (व्य ) वसुदेव और जराका पुत्र ४८।६३ जरा (व्य ) म्लेच्छ राजाको कन्या, जिसे वसुदेवने वरा ३११६ जरासन्ध (व्य) वृहद्रथका राजगृहीका राजा ( नौवाँ प्रतिनारायण ) १८०२२ जरासुत (व्य) जरत्कुमार ६३१४६ जलकेतु (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।३० जलगता (पा) दृष्टिवाद अंगके चूलिकाभेदका उपभेद १०।१२३ जळगति दक्षिणा = एक विद्या २२।६८ जलधि (व्य) समुद्रविजयके भाई अक्षोभ्यका पुत्र ४८।४५ जलप्रभ विमान (भौ) वरुण लोकपालका विमान ५।३२६ जलावर्त ( भौ) वि. द. नगरी २२।९५ जातरूप = सुवर्ण ६०२ जाति = शारीरस्वरका एक भेद १९।१४८ जाति-पदगत गान्धर्वकी विधि १९।१४९ जानुदधन = घुटनों प्रमाण ११।५ जाम्बव (व्य) एक विद्याधर ६०१५३ जाम्बव (भौ) एक नगर६०५३ जाम्बव (व्य) वि. द. के जम्बू पुर नगरका राजा ४४।४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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