Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 981
________________ ९४३ शब्दानुक्रमणिका मास (पा) दो पक्षका एक मास होता है ७।२१ माहिनी ब्राह्मणी २१११३१ माहिषक (भौ) देशका नाम १११७० माहिष्मती (भौ) राजा ऐलेय के द्वारा नर्मदाके तटपर बसायी हुई नगरी १७।२१ माहेम (भी) देशका नाम १११७२ माहेन्द्र = विद्यास्त्र २५१४७ माहेन्द्र (भी) चौथा स्वर्ग मिथ्यादर्शन भाषा (पा) सत्य प्रवादपूर्वको १२ भाषाओं में-से एक भाषा १०१९७ मिथ्यादर्शनक्रिया (पा) एक क्रिया ५८।८१ मिथ्यात्वक्रिया (पा) एक क्रिया ५८.६२ मिथ्यादृष्टि (पा) पहला गुण स्थान ३६८० मिथ्योपदेश (पा) सत्याणुव्रतका अतिचार ५८।१६५ मिश्रकेशी व्य) रुचिकगिरिके अंककूटपर रहनेवाली देवी ५७१५ मुक्तावलीविचि = एक उपवास व्रत ३४१६९-७० मुनि = प्रत्यक्षज्ञानी मुनि कूटपर रहनेवाला एक देव ५।६०५ मायागता (पा) दृष्टिवाद अंगके चूलिकाभेदका उपभेद १०।१२३ मायाक्रिया (पा) एक क्रिया ५८८० मायूरी= एक विद्या २२।६३ मार (भौ) पंकप्रभापृथिवीके तृतीय प्रस्तारका इन्द्रक विल ४।१३१ मार (व्य) रुद्र ६०५७१ मारुत (भौ) सौधर्मयुगलका बारहवाँ इन्द्रक ६१४५ मार्ग-तालगत गान्धर्वका प्रकार १६।१५१ मार्गणा (पा) गति आदि १४ मार्गणाएँ जीवोंकी खोजके स्थान २।१०७ मार्गप्रभावना=भावना३४।१४७ मार्गवी-मध्यमग्रामकी मुर्छना ११९।१६३ माल्य(भौ) देशका नाम१११७१ माल्य (भौ) वि. उ. नगरो २२।९० माल्याङ्ग -एक कल्पवृक्ष ७८० माल्यवस्कूट (भौ) माल्यवान् पर्वतका एक कूट ५।२१९ । माल्यवान् (भी) नीलपर्वतसे साढ़े पाँच-सौ योजन दूर नदीके मध्य में स्थित एक ह्रद ५११९४ माल्यवान् (भौ) मेरुकी पूर्वोत्तर दिशामें स्थित वैडूर्यमणि मय एक पर्वत ५।२११ माल्यवान् (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।३७ माल्यवान् (व्य) हिमवत्का पुत्र ४८।४७ माहेन्द्र (व्य) भगवान् ऋषभ देवका गणधर १२०५८ मांसल = पुष्ट ८।२६ मित्र (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२१६२ मित्र ( भौ) सौधर्म युगलका तीसवाँ इन्द्रक ६१४७ मित्र कला (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२१६५ मित्रवती(व्य) चारुदत्तके मामा की पुत्री जिसे चारुदत्तने विवाहा २०३८ मित्रसागर (व्य) एक मुनि ६०१९७ मित्रानुराग (पा) सल्लेखनाव्रत का अतिचार ५८।१८४ मित्रा (व्य) अरिष्टपुरके राजा रुधिरकी स्त्री ३१।१० मित्रा (व्य) राजा सुदर्शनकी स्त्री अरनायकी माता ४५।२१ मिथुन = दम्पती १५।१ मिथिला (भो) एक नगरी २०१२५ मिथिलानाथ (व्य) देवदत्तका पुत्र १७१३४ मुनिचन्द्र (व्य) एक जैनमुनि २७८१ मरजमध्यविधि - एक उपवास ३४.६६ मुण्डशलायन (व्य) एक ब्राह्मण ६०।११ मुनिसुव्रत (व्य) बीसवें तीर्थंकर १६।१३ मुहूर्त (पा) सात लवोंका एक मुहूर्त होता है ७।२० मूल (व्य) राजा अयोधनका पुत्र १७।३२ मूलज (भौ) देशका नाम ११७० मूलवर्यक=अदिति देवीके द्वारा दत्त विद्याओंका एक निकाय २२।५८ मूलवीर्य विद्याधर = विद्याधरों की एक जाति २६।१० मूर्छना = बैणस्वरका भेद १९।१४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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