Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith
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९३६ बृहद्रथ (व्य) शतपतिका पुत्र
१८।२२ बृहद्रथ (व्य) कृष्णका पुत्र
४८।६९ बृहद्वलि (व्य) जरासन्धका पुत्र
५२।४० बृहस्पति (व्य) एक भविष्य
वक्ता २३।८ बृहस्पति (व्य) उज्जयिनीके
राजा श्रीधर्माका मन्त्री
२०१४ बृहद्वसु (व्य) राजा वसुका पुत्र
१७१५८ बोधचतुष्क (पा) मति, श्रुत,
अवधि और मनःपर्यय ये
चार ज्ञान ५५।१२५ बोधि (पा) रत्नत्रय-सम्यग्दर्शन,
सम्यग्ज्ञान, सम्यक् चारित्र
३।१९० ब्रघ्नमण्डल-सूर्यमण्डल २११४५ ब्रह्म (भो) पाँचवाँ स्वर्ग ६६३६ ब्रह्म (भी) ब्रह्मयुगलका तीसरा
इन्द्रक ६।४९ ब्रह्मदत्त (व्य) बारहवाँ चक्रवर्ती
६०।२८७ ब्रह्मदत्त (व्य) गिरितटनगरका
एक उपाध्याय २३३३३ ब्रह्मचर्य महावत (पा) कृत,
कारित, अनुमोदनासे स्त्रीपुरुषके गमागमका त्याग
२।१२० ब्रह्मलोक (भौ) पाँचवाँ स्वर्ग
१।१२२ ब्रह्मशिरस् (व्य) एक शस्त्र
५२।५५ ब्रह्महृदय (भौ) लान्तव युगल
का प्रथम इन्द्रक ६५० ब्रह्मोत्तर (भौ) छठा स्वर्ग
४।२३
- हरिवंशपुराणे ब्रह्मोत्तर ( भौ ) ब्रह्मयुगलका
चौथा इन्द्रक ६।४९ ब्राह्मी (व्य) भगवान् ऋषभदेवकी पुत्री ९।२१
[ भ ] भगदत्तक (व्य) एक राजा
५०१८२ मगीरथ (व्य)प्रभावतीका पिता___मह एक विद्याधर ३०५२ मद्र (व्य) सागरका पुत्र १३३९ भद्र (भी)सौधर्मयुगलका इक्की
सवाँ इन्द्रक ६।४६ भद्र (व्य) नन्दीश्वरवर समुद्रका
रक्षक देव ५।६४५ भद्र (भो) देशविशेष ११७५ मद्र (व्य) शंखका पुत्र १७।३५ भद्रक (व्य) श्रावस्तीके कामदत्त
सेठके एक भैसेका नाम
२८/२५ भद्रकार (भौ) देशविशेष ३१३ भद्रकाली=एक विद्या २२१६६ भद्रकूर (भौ) रुचिकगिरिका
पश्चिम दिशासम्बन्धी कूट
५७१४ भद्रपुर (भौ) एक नगर १७।३० भद्रवाम (व्य ) ऋषभदेवका
गणधर १२॥६९ भद्रबाहु (व्य) एक श्रुतकेवली
आचार्य भद्रशाल वन (भौ) मेरुपर्वतको
घेरकर स्थित एक वन
५।२०९ भद्रा (व्य)वाराणसीके सोमशर्मा
ब्राह्मणकी एक पुत्री
२२॥१३२ भद्रा (व्य) विनमिकी पुत्री
२२।१०६ भद्रा (व्य) समवसरणकी एक
वापिका ५७।७३
भद्रावलि ( व्य ) ऋषभदेवका
गणधर १२१६८ मद्रिका (व्य) रुचिकगिरिके
भद्रकूटपर रहनेवाली देवी
५।७१४ मदिलपुर (भौ)एक नगर, जहाँ
वसुदेव गये २४।३१ मदिलसा (भौ) एक नगरी
३३।१६७ भरत (व्य) कृष्णका पुत्र४८७१ मरत (व्य ) प्रथम चक्रवर्ती
६०।२८६ मरत (व्य) आगामी चक्रवर्ती
६०५६३ मरत (व्य) भगवान् ऋषभदेव
का पुत्र ९।२१ मरुकच्छ (भी) देशका नाम
११७२ भरतकूट (भी) हिमवत्कुलाचल
का तीसरा कूट ५।५३ भव (व्य) रुद्र ६०१५७१ भवधारण (पा) आग्रायणी पूर्वके
चतुर्थ प्राभृतका योगद्वार
१०।८४ भव्य (पा) जिसे सम्यग्दर्शनादि
गुण प्रकट होनेकी योग्यता
हो १५ भव्यकूटस्तूप (पा)समवसरणका
स्तूप ५७।१०४ भागदत्त (व्य) ऋषभदेवका
गणधर १२।६४ मागफल्गु (व्य) ऋषभदेवका
गणधर १२।६४ माजनाङ्ग = एक कल्ववृक्ष७।८० भानु (व्य) एक राजा५०।१३० भानु (व्य) जरासन्धका पुत्र
५१३१ मानु (व्य) श्रीकृष्ण-सत्यभामा
का पुत्र ४४।१
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