Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 970
________________ ९३२ पापोपदेश (पा) अनर्थदण्डका भेद ५८।१४६ पारणा (व्य ) व्रतके बाद होनेवाला भोजन ३३।७९ पारशर (व्य) एक राजा ४५।२९ पारिणामिक भाव (पा) कर्मो के उपशमादिके बिना स्वयं होनेवाला एक भाव ३१७९ पारिग्राहिकी क्रिया ( पा ) पचीस क्रियाओं में से एक क्रिया ५८।८० पार्थं (व्य) अर्जुन ४५।१३१ पार्थिव (व्य) एक राजा५२।३३ पार्वतेय = विद्याधरोंकी एक जाति २६।२० पार्श्व (व्य) तेईसवें तीर्थंकर १।२५ पांसुमूळ (भौ) वि. द. श्रेणीका एक नगर २२/९९ पिङ्गल (व्य) वसुदेवका पुत्र ४८/६३ पिण्डशुद्धि २।१२४ भोजनशुद्धि पितृष्वसा = बुआ ४२/७२ पिपास ( भी ) प्रथम पृथ्वीके सीमन्तक इन्द्रकके दक्षिण दिशामें स्थित महानरक ४१५१ पिप्पलाद (व्य) याज्ञवल्क्य और सुलसाका पुत्र २१ । १३९ पिहितास्रव (व्य ) एक मुनि = २७/८ पिहितास्रव (व्य ) एक मुनि २७।९३ पिहितास्रव (व्य ) पद्मप्रभ भगवान् के पूर्वभवके गुरु ६०।१५९ पीठिका ( भी ) विदेहक्षेत्र के जम्बू स्थलका एक भाग जो Jain Education International हरिवंशपुराणे मूलमें १२, मध्य में ८ और अन्तमें ४ कोश चौड़ा है ५।१७५ पुण्डरीक (व्य ) पुष्करद्वीपका रक्षक देव ५६३९ पुण्डरीक (भौ) शिखरीकुलाचल का ह्रद ५।१२१ पुण्डरीक (व्य) एक नारायणका नाम ६०५२९ पुण्डरीक (पा) प्रकीर्णकश्रुतका एक भेद २।१०४ पुण्डरीकिणी (व्य) एक दिक्कुमारी देवी ८१११२ पुण्डरीकिणी (व्य) रुचिकगिरि, के अंजनक कूटपर रहनेवाली देवी ५।७१५ पुण्डरीकिणी ( भौ) विदेह की एक नगरी ५।२५७ पुण्डरीकणी (व्य) एक देवी ३८|३५ पुण्यमूर्ति (व्य) आगामी तीर्थ कर ६०/५६० पुद्गल (पा) रूप, रस, गन्ध और स्पर्शसे 'युक्त एक द्रव्य ४३ पुद्गलामा (पा) कर्मप्रकृति वस्तुका एक अनुयोगद्वार १०१८५ पुष्कर = कमल ५/५७६ पुष्करद्वीप ( भी ) एक द्वीपका नाम ५।५७६ पुष्करोद ( भी ) मध्यलोकका एक समुद्र ५।५९६ पुष्कला (भौ) पश्चिम विदेहक्षेत्र मे स्थित एक विदेह ५।२४५ पुष्कलावती (भो) पश्चिम विदेहक्षेत्र में स्थित एक विदेह ५।२४५ पुरु (भौ) वि. उ. श्रेणीका एक नगर २२।९१ For Private & Personal Use Only पुरुष (भौ) एक देश ११७० पुरुषसिंह (व्य ) एक नारायणका नाम ६० ५२७ पुरुषोत्तम (व्य) एक नारायणका नाम ६०।५२३ पुरुहूत (व्य) एक विद्याधर २२।१०७ पुरोधस् (पा) चक्रवर्तीका एक रत्न (चेतनरत्न) ११।१०८ पुलस्त्य व्य) एक विद्याधर २२।१०८ पुलोम (व्य) कुण्डिनपुर के राजा कुणिमका पुत्र १७।२४ पुलोमपुर (भौ) राजा पुलोमका बसाया एक नगर १७/२५ पुष्पक ( भौ) आनत स्वर्गका एक इन्द्रक ६।५१ पुष्पदन्त (व्य) नौवें तीर्थंकर १।११ पुष्पदन्त (व्य) क्षीरवर द्वीपका रक्षक देव ५६४१ पुष्पदन्त (व्य ) एक क्षुल्लक २०/२७ पुष्पचूड (भो) वि. उ. श्रे. का एक नगर २२।९१ पुष्पमाल (भौ) त्रि.उ. श्रेणीका एक नगर २२।९१ पुष्पमाला (व्य) एक दिक्कुमारी देवी ५।३३३ पुष्पोत्तर (भौ) स्वर्गका एक विमान १।२० पूतिगन्धिका (व्य) रुक्मिणीका एक ६०/३३ भवान्तरका नाम पूरण (व्य ) समुद्रविजय आदि दस भाइयों में आठवाँ भाई १८।१३ पूर्ण (व्य) इक्षुवरद्वीपका रक्षक देव ५।६४३ www.jainelibrary.org

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