Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 948
________________ हरिवंशपुराणे कुबेरदत्त (व्य) महापुरका एक कुम्मकण्टक (भौ) एक द्वीप सेठ २४/५० २१११२३ कुब्जा (व्य) शिवादेवीकी एक कुरु (व्य) जयकुमारका पुत्र दासी १९।४१ - ४५।९ कुमारदेव (व्य) धनदेव कुरु (व्य) कुरुवंशका एक दानी और सुकुमारिकाका पुत्र ४५।१९ ४६।५१ कुरुचन्द्र (व्य) कुरुका पुत्र४५।९ कुमारसेन (व्य ) एक आचार्य कुरुजाङ्गल देश (भो) हस्तिना११३८ पुरका समीपवर्ती प्रदेश कुम्म (व्य) भगवान् ऋषभदेव- ४५।६ का गणधर १२१५५ कुरुद्वय = देवकुरु, उत्तरकुरु५।८ कुमुद (पा) चौरासी लाख कुमु- कुरुमती (भो) एक नगरी दांगोंका एक कुमुद ७२६ ६०1८५ कुमुद (व्य) वसुदेवका पुत्र कुल(पा)जीवोंके शरीर निर्माण___५०1११५ के योग्य पुद्गल वर्गणाएँ कुमुद (भौ) रुचिकगिरिका कुलकोटी २१११६ पश्चिम दिशा सम्बन्धी कूट कुलकर (पा) मनु, ये १४ होते ५७१३ हैं ७/१२३ कुमुद कूट(भौ) मेरुसे पश्चिमकी कुल कीर्ति (व्य) कुरुवंशका एक ओर शीतोदा नदीसे दक्षिण राजा ४५०२५ तटपर स्थित एक कूट कुलिशायुध = इन्द्र ३८।२२ ५।२०६ कुश (भी) देशविशेष १११७५ कुमुदाङ्ग (पा) चौरासी लाख कुशद्य (भी) देशविशेष १८४९ निपुणोंका एक कुमुदांग कुशवर द्वीप(भी) पन्द्रहवां द्वीप ७।२६ ५।६२० कुमुदामेलक (व्य) भरतचक्र- कुशवर सागर (भौ) पन्द्रहवाँ वर्तीका घोड़ा ११२३ सागर ५।६२० कुमुदप्रभा (भी) मेरुके ऐशानमें कुशाग्र (भो) देशका नाम स्थित एक वापी ५।३४५ १११६५ कुमुदा (भो) मेरुके ऐशानमें ___कुशाग्रपुर ( भो) राजगृहीका स्थित एक वापी ५।३४५ दूसरा नाम १५।६१ कुमुदा (भौ) नन्दीश्वर द्वीपके कुशील (पा) मुनिका एक भेद पश्चिम दिशा सम्बन्धी ६०५८ अंजनगिरिकी पश्चिम दिशा- कुसन्ध्य (भौ) देशविशेष । में स्थित वापिका ५१६६२ कुमुदा (पा) समवसरणके चम्पक कुसुमकोमला (व्य) राजा वर्णवनकी वापिका ५७१३४ की पुत्री ४५।६२ कुमुदा (भी) पूर्व विदेहका एक कुसुमचित्रसभा = श्रीकृष्णकी देश ५।२४९ सभा ५५।२ कुसुमवती (भौ) वरुण पर्वतके समीप पंचनद समागमकी एक नदी २७।१४ कुसुमावली (व्य) सुनार विद्या धरकी स्त्री ४६।९ कूटदोष = मिथ्यादोष ४५।१५५ कूटलेख क्रिया (पा) सत्याणुव्रत का अतिचार ५८।१६७ कूष्माण्ड गणमाता एक विद्या २२।६४ कृतमाक (व्य) तमिस्रगुहाका निवासी. देव ११।२१ कुतवर्मा(व्य)एक राजा५०८३ कृतात्मन् (वि) कृतकृत्य ११९ कृति (पा) आग्रायणी पूर्वके चतुर्थ प्राभृतका योगद्वार १०८२ कृतिकर्म (पा) अंगबाह्यश्रुतका एक भेद २।१०३ कृतिधर्मा (व्य ) हृदिकका पुत्र ४८।४२ कृष्ण (व्य) निर्नामिक जीव, देवकीका पुत्र ३३।१७३ कृष्ण (व्य) नौवां नारायण ६०।२८९ कृष्णलेश्या (पा) लेश्याका एक भेद ४।३४४ कृष्णा (व्य) द्रौपदी ५४।३३ केतुमती(व्य) जरासन्धकी पुत्री, जितशत्रुकी स्त्री ३०।४५ केतुमती (व्य) एक कन्या, जो पुण्डरीक नारायणकी स्त्री हुई २६।५२ केतुमाक (भी) वि. उ. नगरी २२।८६ केतुमाली (व्य)जरासन्धका पुत्र ५२१३५ केतुमालिन् (व्य ) जरासन्धका पुत्र ५२।४० www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only

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