Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 946
________________ ९०८ कलहमाषा (पा) सत्यप्रवादपूर्व की १२ भाषाओंमें से एक भाषा १०१९२ कलधौत = स्वर्ण ११४३ कलध्वान - मधुर शब्द करने वाले ११४७ कलरव = कबूतर ३६।१ कलिङ्ग (भौ)देशका नाम१११७० कलिङ्गसेना (व्य) चम्पापुरीकी एक प्रसिद्ध गणिका२११४१ कलिन्दसेना (व्य) राजा जरा सन्धकी स्त्री १८.२४ कलोपनता = मध्यम ग्रामकी मूर्च्छना १९।१६३ कल्प (पा) बीस कोड़ाकोड़ी कालको कल्प कहते है अव० + उत्सपिणी ७२६३ कल्प (पा)सोलह स्वर्ग ३।१४९ कल्प-स्वर्ग ४।१६ कल्प (पा) आग्रायणी पूर्वकी वस्तु १०७९ करुपाकल्प (पा) अंग बाह्यश्रुत का एक भेद २११०४ कल्पपुर (भी) राजा महीदत्तका बसाया नगर १७१२९ कल्पभूमि (पा) समवसरणको आधारभूमि ५७।५ कल्पवासिन् =स्वर्गों में रहनेवाले वैमानिक देव ३।१३५ कल्पव्यवहार (पा) अंग बाह्य श्रुतका एक भेद कल्पवासस्तूप (पा)समवसरणके स्तूप ५७.९९ करुपनिवासिनी- स्वर्गकी देवां गनाएं २१७७ कल्पातीत (पा) सोलह स्वर्गों के आगेके देव ३३१५० कल्याणपूर्व (पा) पूर्वगतश्रुतका एक भेद २।९९ हरिवंशपुराणे कल्याणाङ्गण (पा) समवसरणकी एक भूमि ५७१६७ कल्लीवनोपान्त (भो) देशका नाम १११७१ काक्षि (भौ) देशका नाम १११७२ काकणीमणि = चक्रवर्तीका एक मणि जिससे प्रकाश होता है ११।२७ काकली = चौदह मूर्च्छनाओंका एक स्वर १९।१६९ काक्ष (भी) प्रथम पृथिवी सम्बन्धी प्रथम प्रस्तारके सीमन्तक इन्द्रककी पूर्व दिशामें स्थित एक महा नरक ४।१५१ काञ्चन (भो) वि. उ. नगरी २२१८८ काञ्चन (भो) रुचिकगिरिका उत्तर दिशा सम्बन्धी कूट ५७१६ काञ्चना (भौ) सौधर्म युगलका नौवाँ इन्द्रक ६।४५ काञ्चना(व्य)रुचिकगिरिके कुमुद कूटपर रहनेवाली देवी ५७१३ काञ्चनक (व्य)मेरु पर्वतके कूटों पर बसनेवाले देव ५।२०४ काञ्चनकूट (भौ) सीता-सीतोदा नदियोंके तटपर स्थित पर्वतविशेष ५।२०० काञ्चनकूट (भौ) रुचिकगिरिका एक कूट ५७०५ काचनकूट (भौ) सौमनस पर्वत____ का एक कूट ५।२२१ काञ्चनपुर (भौ) कलिंगदेशका एक नगर २४।११ . काञ्चनरथ (व्य)जरासन्धका पुत्र ५२॥३१ कान्ता (व्य) भानुषेणको स्त्री ३३४९९ कादम्बरी मदिरा ६०३६ कान्दिशीक भयसे पलायमान ३०६५ कानीन = कन्या अवस्थाका पुत्र कर्ण ५०1८८ कापथमलाविल (वि) कुमार्ग रूपी मलसे मलिन १।१५ कापिष्ट (भौ) आठवाँ स्वर्ग४।१५ कापिष्ठलायन (व्य) एक ब्राह्मण १८.१०३ कापोतलेश्या = लेश्याका एक भेद ४।३४३ काम (व्य) रुद्र ६०५७१ काम (व्य) प्रद्युम्न ४८।१३ कामतीव्राभिनिवेश (पा) ब्रह्म चाणुव्रतका अतिचार ५८।१७४ कामद (व्य) रुद्र ६०५७१ कामदत्त (व्य)श्रावस्तीका एक सेठ २८।११८ कामदृष्टि (व्य) चक्रवर्तीका गृहपतिरत्न ११०२८ कामदेव (व्य) श्रावस्तीके काम दत्त सेठके वंशमें उत्पन्न हुआ एक सेठ २९।६ कामदेव (व्य) ऋषभदेवका गणधर १२।६९ कामपताका (व्य) रंगसेना गणिकाकी पुत्री २९।२७ काम्बोज(भो)देशका नाम १११६६ कायोत्सर्गनिश्चित समय तक शरीरसे ममता त्याग ३४।१४६ कार्ण (भौ) देशविशेष ३६ कार्तवीर्य(व्य) गजपुर-(हस्तिना पुर)के कौरव वंशमें उत्पन्न हुआ एक राजा २५।८। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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