Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 933
________________ अतिपिपास (भौ) प्रथम पृथिवी - के प्रथम प्रस्तारसम्बन्धी सीमन्तक इन्द्रकी उत्तर दिशामें स्थित महानरक ४/१५१ अग्निशिखर (व्य) कृष्णका पुत्र ४८/६९ अग्रजन्मा = ब्राह्मण ४३।९९ अग्निला (व्य) एक स्त्री ६४/६ अक्षय (पा) स्फटिक सालका उत्तर गोपुर ५७।६० अक्षर (पा) श्रुतज्ञानका भेद १०।१२ अक्षरसमास (पा) श्रुतज्ञानका भेद १०:१२ अधोव्यतिक्रम (पा) दिव्रतका अतिचार ५८।१७७ अध्वा (पा) समस्त द्वीपसागरोंका एक दिशाका विस्तार ७।५२ अध्रुव (पा) आग्रायणी पूर्वको वस्तु १०1७८ अध्रुव संप्रणधि (पा) आग्रायणी पूर्वकी एक वस्तु १०।७९ अङ्गज (व्य ) रुद्र ६०।५७१ भङ्गज = कामदेव १६।३९ अनङ्गक्रीडा (पा) ब्रह्मचर्याणु व्रतका अतिचार ५८।१७४ अनङ्गशरीरज (व्य ) प्रद्युम्नका पुत्र अनिरुद्ध ५५।१९ अधोक्षज = कृष्ण ३५।१९ अवाल (भौ) दि. उ. नगरी २२/९० अक्षोभ्य (पा) स्फटिक सालका पश्चिम गोपुर ५७/५९ अङ्गार (व्य ) एक विद्याधर राजा २५/६३ अङ्गुल (पा) आठ यवों का एक अंगुल ७ ४० अग्निकुमार = भवनवासी देवोंका Jain Education International शब्दानुक्रमणिका एक भेद २।८२ अजीवfaar (पा) धर्म्यध्यानका भेद ५६१४४ अति निसृष्ट (भौ ) चौथी पृथिवीके प्रथम प्रस्तारसम्बन्धी और इन्द्रकी पश्चिम दिशामें स्थित महानरक ४/१५५ अतिवीर्य (व्य) प्रतापवान्का पुत्र १३।१० अतिवेगा (व्य) पृथिवीतिलक के राजा प्रियंकरकी स्त्री २७।९१ अतिवेलम्ब (व्य) मानुषोत्तर के बेलम्बकूटका वासी देव ५।६०९ अतीतानागत (पा) आग्रायणी पूर्वकी वस्तु १०1८० अतुलार्थ (पा) स्फटिक सालका उत्तर गोपुर ५७१६० अद्गु (व्य ) सगर चक्रवर्तीके साठ हजार पुत्रों में ज्येष्ठ पुत्र १३।२८ अतिमुक्तक (व्य) कंसके बड़े भाई जो मुनि हो गये थे ३३ । ३२ अर्ककीर्ति (व्य) भरत चक्रवर्ती का पुत्र १२।९ अगन्धन (व्य ) श्रीभूति मरकर 'अगन्ध' साँप हुआ२७१४२ अगर्त (भौ ) देशका नाम ११।७२ अगस्त्य = एक नक्षत्र जिसका उदय शरद् ऋतु में होता है ३२ अग्निकुमार = भवनवासी देवोंका एक भेद ४१६४ अन्नपाननिरोध (ना) अहिंसाणु व्रतका अतिचार ५८।१६५ अनन्तजिद् (व्य) अनन्त संसारको जीतनेवाले चौदहवें तीर्थकर १|१६ अङ्क (भौ) अनुदिश ६ |६४ For Private & Personal Use Only ८९५ अचलावती (व्य) दिक्कुमारी देवी ५।२२७ अचेलता (पा) मुनियोंका एक मूलगुण वस्त्रका त्यागकरना, नग्न रहना २।१२८ अकम्पन (व्य) वाराणसीका राजा सुलोचनाका पिता १२९ अङ्क (भौ) रुचिक गिरिका उत्तर दिशासम्बन्धी कूट ५।७१५ अङ्ककूट (भौ) मानुषोत्तरी उत्तर दिशाका एक कूट ५।६०६. अङ्कावती (भौ) विदेहकी एक नगरी ५।२५९ अणुव्रत (पा) पाँच पापोंका एकदेशत्याग, इसके अहिंसाणुव्रत आदि पाँच भेद हैं २।१३४ अकम्पन (व्य ) विजयका पुत्र ४८ ४८ अक्रूर (व्य) वसुदेवका विजय सेना नामक स्त्रीसे उत्पन्न हुआ पुत्र १९।५९ अक्रूर (व्य) राजा श्रेणिकका एक पुत्र २।१३९ अक्रूर (व्य) एक राजा ५०१८३ अक्रियावादी (पा) मिथ्यात्वका एक भेद ५८।१९४ अकल्पित ( व्यं) एक राजा ५०।१३० अक्षौहिणी (पा) विशिष्ट सेना ५०/७५, ७६ अकुतोभयतः = किसीसे भय न होने के कारण १।९५ अङ्क, अङ्कप्रभ (भौ) कुण्डलगिरिके पश्चिम दिशासम्बन्धी कूट ५०६९३ अङ्गारक (व्य ) श्यामाका शत्रु १९/७९ www.jainelibrary.org

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