Book Title: Harivanshpuran
Author(s): Jinsenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 940
________________ ९०२ अहोरात्र (पा) तीस मुहूर्त्तका एक दिन-रात होता है ७।२१ अंशुमान् (व्य) वसुदेवका साला कपिलाका भाई २४।२७ अंशुमान् (व्य ) नमिका पुत्र २२।१०७ [ आ ] आकर (पा) सोना-चाँदी आदिकी खानोंसे युक्त नगर २३ आकाशगता (पा) दृष्टिवाद अंगके चूलिका भेदका उपभेद १०।१२३ आकूपारम् = समुद्रपर्यन्त ११३८ आखण्डल (व्य ) इन्द्र २५ आख्यान ( तिङन्त) = पदगत गान्धर्व की विधि १९ १४९ आक्रन्द (पा) असातावेदनीयका आस्रव ५८।९३ आगति गन्धर्वका = तालगत एक प्रकार १९५१ आग्नेय = विद्यास्त्र २५१४७ आचाराङ्ग (पा) द्वादशांगका एक भेद २९२ आचाम्लवर्धन = व्रत विशेष ३४।९५-९६ आचार्य मक्ति=भावना ३४ । १४१ आचिता = व्याप्त ५५/२ आजवञ्जव = संसार १।१३ आज्ञानिक (पा) मिथ्यात्वका एक भेद ५८ १९४ आज्ञाविचय (IT) धर्म्यध्यानका भेद ५६।४९ आज्ञाव्यापादिकी (पा) एक क्रिया ५८।७७ आस्मान्जन ( भी ) पूर्व विदेहका वक्षार गिरि ५।२२९ आत्मप्रवाद (पा) पूर्व गतश्रुतका एक भेद २९८ Jain Education International हरिवंशपुराणे आत्रेय (व्य ) भार्गवाचार्यका प्रथम शिष्य ४५ ॥४५ आत्रेय (भी) देश विशेष ३३५ आदिस्य विद्या निकायका नामान्तर २२।५८ आदित्य (व्य) लौकान्तिक देवों का एक भेद ९१६४ आदित्य ( भी ) अनुदिशों का इन्द्रक ६।५४ आदित्य ( भी ) अनुत्तर विमान ६१६४ आदित्य (व्य ) लौकान्तिक देवोंकी एक जाति २।४९ आदित्यधर्मा (य) जरासन्धका पुत्र ५२।३८ आदिश्यनगर ( भी ) विजयार्धकी उत्तरश्रेणीकी नगरी २२१८५ आदिव्यनाग (व्य) जरासन्धका पुत्र ५२।३२ आदित्ययशस् (व्य) भरत चक्रवर्तीका पुत्र प्रचलित नाम अर्ककीर्ति १३१ आदिस्याभ (व्य ) लान्तवेन्द्र २७ ११४ आधि = मानसिक व्यथा ८|२८ आनक (व्य) वसुदेव १९० आनकदुन्दुभि (व्य ) वसुदेव ५१।७ आनत ( भी ) तेरहवाँ स्वर्ग ६।३८ आनत (भी) आनतस्वर्गका प्रथम इन्द्रक ६।५१ आनन्द ( भो) वि. द. नगरी २२।९३ आनन्द (व्य) एक राजा५०।१२५ आनन्दा (भौ) नन्दीश्वर द्वीपसे उत्तर दिशा सम्बन्धी अंजनगिरिको पश्चिम दिशा में स्थित वापिका ५।६६४ For Private & Personal Use Only आनन्दा (व्य) रुचिकगिरिके अंजनकूटपर रहने वाली देवी ५।७०६ आनन्दा (पा) समवसरणके अशोक वनकी वापिका ५७/३२ आनन्द (भो) वि. उ. नगरी २२८९ आनन्द कूट (भौ) गन्धमादनका एक कूट ५।२१८ आनन्दवती (पा) समवसरण के अशोक वनको वापिका ५७/३२ आनन्दपुर (भी) जरासन्धके नष्ट होनेपर यादवोंने जहाँ आनन्द नृत्य किया था५३।३० आनन्द श्रेष्ठी (व्य) एक सेठ ६०/९७ आनन्दिनी = भेरी ४०।१९ आनयन (पा) देशव्रतका अतिचार ५८।१७८ आन्ध्री = मध्यमग्रामके आश्रित जाति १९।१७७ आप्त = रागादि दोष तथा ज्ञानावरणादि घातिया कर्मोसे रहित १०।११ आप्य = जलकायिक जीव १८।७० आभियोग्य = देवोंकी एक जाति ३।१३६ आभीर ( भी ) देशका नाम ११।६६ आभ्यन्तर परिग्रह (पा) मिथ्यात्व क्रोध, मान, माया, लोभ तथा हास्यादि ९ नोकषायके भेदसे १४ प्रकारका आभ्यन्तर परिग्रह २।२१ आमलक = आंवला ७।६९ आमोद : = गन्ध २।३३ आर ( भी ) पंकप्रभा पृथिवीके प्रथम पटलका इन्द्रक४ । १२९ www.jainelibrary.org

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