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आँख
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अहार्य
आ
अहार्य-सं० (वि०) 1 जो हरण या चुराया न जा सके 2 जिसका हरण करना अन्चित हो 3 जिसे धन आदि के द्वारा वश में न किया जा सके अहिंदू-(पु०) जो हिंदू न हो
आ-(उप०) 1 आदि से अंत तक (जैसे-आजीवन) 2 इधर अहिंसक-सं० (वि०) हिंसा न करनेवाला।
(जैसे-आगमन) अहिंसा-सं० (स्त्री०) 1 किसी प्राणी या जीव को न मारना | आँ-अ० (पु०) विस्मयसूचक शब्द (जैस-ऑ, आँ करना) 2 मन, वचन, कर्म से किसी को दुःख न देना 3 कंटक पाली आँक-(पु०) 1 संख्या का सूचक अंक 2 लक्षण 3 अक्षर या हंस नाम की घास। नीति (स्त्री०) किसी जीव या प्राणी | 4 अंश, हिस्सा को पीड़ित न करने वाली नीति; ~वाद (पु०) 1 ऐसा सिद्धांत | आँकड़ा-(प्०) 1 अंक (जैसे-1.2.3,4 आदि) 2 तथ्यों की जिसके अनुसार सभी जीवधारियों में ईश्वर की सत्ता मानी जाती | गणना 3 हक 4 पशुओं का एक रोग है 2 किसी को दुःख न पहुँचाने का सिद्धांत; --वादी (वि०) आँकड़ेबाज़-हिं० + फ़ा० (१०) हर मामले में आँकड़ों पर अहिंसा वाद को माननेवाला
ज़ोर देनेवाला अहिंसात्मक-सं० (वि०) जिसमें हिंसा न हो
आँकड़ेबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) हर विषय में आँकड़ों पर अहि-सं० (पु०) 1 साँप 2 राहू 3 वृत्रासुर 4 ठग, वंचक | ज़ोर देना 5 पृथ्वी 6 सूर्य 7 पथिक 8 सीसा 9 बादल 10 नाभि-1 जल आँकना-(स० क्रि०) 1 अंदाज़ा लगाना, अनुमान करना 12 अश्लेषा नक्षत्र। -जिह्वा (स्त्री०) नागफनी; ~फेन । 2 मूल्य लगाना 3 निशान लगाना (पु०) अफ़ीम
आँकर-(वि०) 1 गहरा 2 अत्यधिक 3 महँगा अहित-I सं० (पु०) 1 बुराई, अपकार 2 हानि II (वि०) आँफिक-सं० (पु०) सांख्यिक 1 अहितकर, अपथ्य 2 विरोधी। कर, कारी (वि०) | आँकिकी-सं० (स्त्री०) सांख्यिकी, संख्याशास्त्र अहित या अपकार करनेवाला
आँख-(स्त्री०) 1 देखने की इंद्रिय, नयन, चक्ष 2 निगाह, दृष्टि । अहिम-सं० (वि०) ठंडा नहीं, गरम
~भौंह (स्त्री०) क्रोध की मुद्रा; -मिचौनी; -मिचौली अहिवातिन-(वि०) सुहागिन, सधवा
(स्त्री०) आँखें मूंदने का एक खेल; ~मुँदाई (स्त्री०) = अहिवाती-(वि०) - अहिवातिन
आँख मिचौली; ~आना आँख का एक रोग जिसमें आँखें अहीन-1 सं० (वि०) 1 जो हीन न हो 2 जिसमें कोई कमी न लाल होकर सूज आती हैं और बहुत पीड़ा होती है; ~उठना हो 3 जो किसी की तुलना में कम न हो II (प०) 1 हीन न = आँख आना; ~~उठाकर न देखना 1 कुछ भी ध्यान न होना 2 वासुकि
देना, उपेक्षा करना 2 लज्जावश सामने न देखना; ~उठाना अहीर-(पु०) ग्वाला, आभीर
1लोभ दृष्टि से देखना 2 कुदृष्टि या शत्रभाव से देखना; अहँठा-(पु०) साढ़े तीन का पहाड़ा
~उलटना बेहोश होने पर या मरने के समय आँखों की अहृदय-सं० (वि०) 1 हृदयहीन 2 विस्मरणशील
पुतलियों का कुछ ऊपर चढ़ जाना; या आँखें ऊँची न अहे-[सं० (क्रि० वि०) 1 निंदा, शोक, आदि का द्योतक शब्द करना 1 लज्जा के कारण न देखना 2 शत्रुभाव या गंदी नीयत 2 हे II (पु०) वृक्ष विशेष
से देखने का साहस न करना; ~कड़वाना अधिक देर तक अहेतु-[सं० (वि०) हेतुरहित II (पु०) 1 हेतु का अभाव देखने से आंखों में दर्द होना; ~का अंधा बिलकुल उल्लू, 2 अर्थालंकार का एक भेद जिसमें कई कारणों के रहते हुए भी मूर्ख; ~आँजन अत्यधिक प्यारा; च्या आँखों का कांटा कार्य का न होना पाया जाए
बनना 1 कष्ट होना 2 शत्रु होना 3 कार्य में बाधा उत्पन्न करना; अहेर-सं० (पु०) आखेट, शिकार
~का काजल चुराना पास या सामने की वस्तु चुरा लेना, अहेरी-(पु०) शिकारी
सफ़ाई से हाथ मारना; ~का तेल निकालना आँखों पर ज़ोर अहैतुक-(वि०) जिसका कोई कारण न हो
पड़नेवाला काम करना; --का खुला रहना सावधान रहना; अहो-सं० (अ०) 1 विस्मय, हर्ष, खेद आदि का सूचक उद्गार ~का परदा आँख की भीतरी झिल्ली; ~का परदा उठना 2हे, ओ। ~भाग्य (पु०) धन्य भाग्य
भ्रम दूर होना; का पानी ढल जाना निर्लज्ज हो जाना, अहोर-बहोर, अहोरा-बहोरा-I (प०) ब्याह या गौने में बेशर्म होना; ~की किरकिरी आँख का काँटा; ~की दुलहिन का ससुराल जाकर उसी दिन वापस आना II (क्रि० ठंडक प्रिय व्यक्ति या वस्तः ~की पुतली अत्यधिक प्यारी वि०) बार-बार
वस्तु, अतिप्रिय व्यक्ति; ~की पुतली फिरना आँख पथराना; अहोरात्र-[सं० (१०) दिन और रात II (क्रि० वि०) दिनरात, ~खटकना आँख किरकिराना; ~खलना 1 पलक खुलना हर समय, सदा
2 जागना 3 भ्रम दूर होना; ~खलवाना आँख बनवाना; अहीक-I सं० (पु०) बौद्ध भिक्षु II (वि०) निर्लज्ज
खोलना 1 आँख बनाना 2 सावधान करना 3 होश में अल-अ० (पु०) = अहल
आना; ~गड़ना 1 आँख दुखना 2 दृष्टि जमना; ~गड़ाना अहीक-सं० (वि०) निर्लज्ज
रकटकी लगाकर देखना; चमकाना 1 आँखों से संकेत, इशारा करना; चरने जाना नजर गायब होना; चुराकर कुछ करना गुप्त रूप से, छिपकर काम करना; चुराना, -छिपाना 1 कतरा जाना, सामना न करना 2 लज्जा के कारण