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अत्रप
अत्रप-सं० (पु० ) 1 राक्षस 2 मूल नक्षत्र अस्त्रपा - सं० (स्त्री०) 1 जोंक 2 जादू टोना करनेवाली, डाइन अस्ल - अ० (वि०) = असल
अस्लिहा - अ० (पु० ) (पु०) हथियार
अस्ली -अ० (वि०) 1 मौलिक 2 खालिस 3 खरा 4 सच्चा अस्लीयत - अ० (स्त्री० ) 1 वस्तु स्थिति, सच्ची स्थिति या रूप 2 जड़
अस्व-सं० (वि०) धनहीन, निर्धन
अस्वच्छ-सं० (वि०) गंदा, धुंधला अस्वतंत्र - सं० (वि०) जो स्वतंत्र न हो, परतंत्र, पराधीन अस्वप्न - I सं० (वि०) निद्रारहित II ( पु० ) 1 देवता 2 अनिद्रा अस्वर - I सं० (वि०) बुरे स्वरवाला, अस्पष्ट, मंद II ( पु० ) 1 मंद स्वर 2 व्यंजन वर्ण
अस्वस्थ-सं० ( वि० ) 1 जो स्वस्थ न हो 2 रोगी, बीमार अस्वाधीन सं० (वि०) जो दूसरे के वश में हो अस्वाभाविक-सं० (वि०) 1 स्वभाव - विरुद्ध 2 बनावटी अस्वामिक-सं० 1 (वि०) बिना मालिक का लावारिस II (पु०) वह संपत्ति जिसका कोई स्वामी ( दावागीर) न हो अस्वामी-सं० (वि०) जिसका स्वत्व न हो
अस्वार्थ-सं० (वि० ) 1 निकम्मा 2 निःस्वार्थ 3 उदासीन अस्वास्थ्य -सं० ( पु० ) रोग, बिमारी। ~कर (वि०) जो स्वास्थ्य या सेहत के लिए अच्छा न हो, स्वास्थ्य के प्रतिकूल होनेवाला प्रद (वि०) अस्वास्थ्यकर अस्वीकरण-सं० (पु० ) अस्वीकार या नामंजूर करना अस्वीकरणीय-सं० (वि०) जो स्वीकार करने योग्य न हो अस्वीकार-सं० (पु० ) 1 न मानना, इनकार 2 नामंजूरी अस्वीकारात्मक सं० (वि०) इनकार भरा अस्वीकार्य-सं० (वि०) स्वीकार न करने योग्य अस्वीकृत - सं० (वि०) 1 न माना हुआ 2 ग्रहण न किया हुआ अस्वीकृति - सं० (स्त्री० ) अस्वीकार अस्सी-सं० (पु० ) 80 की संख्या
अहं I सं० (सर्व०) मैं II (पु० ) 1 मनुष्य में होनेवाला यह ज्ञान या धारणा कि मैं हूँ या औरों से मेरी पृथक् सत्ता है, अपने अस्तित्व की कल्पना या भान 2 अहंकार। ~कामी (वि०) अहं भाव की कामना करनेवाला; कार (पु०) अपनी सत्ता का बोध 2 गर्व, घमंड; कारी (वि०) घमंडी; कृति (स्त्री०) अहंकार, घमंड गत (वि०) घमंड किया हुआ; ~तंत्र (पु०) स्वेच्छाचारी शासक अहंता-सं० (स्त्री०) घमंड, गर्व । पूर्व (वि०) 1 जो सबसे पहले या आगे रहना चाहता हो 2 अपने आपको सबसे आगे या प्रधान रखने का इच्छुक पूर्विका (स्त्री०) होड़, प्रतिद्वद्विता ~ प्रत्यय (पु०) घमंड भाव (पु० ) 1 अहं 2 अहंकार भावी, मन्य (वि०) अभिमानी, घमंडी; ~ मन्यता (स्त्री०) स्वंय को सबसे बढ़कर समझना; वाद (पु० ) 1 = अहंमन्यता 2 यह सिद्धान्त कि व्यक्ति की अपनी इच्छाएं ही महत्त्वपूर्ण हैं; वादी (वि०) अहंमन्य अह - अ० अचरज, दुख, क्लेश आदि का सूचक उद्गार अहकाम - अ० ( पु०) आज्ञाएँ, आदेश अहत - I सं० (वि०) 1 जो पीटा न गया हो 2 अनाहत 3 बे दाग़, स्वच्छ II ( पु० ) नया कपड़ा
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अहारना
अहद - अ० (पु०) वादा, पक्का निश्चय, दृढ़ संकल्प । -तोड़ना + हिं० (पु० ) 1 प्रतिज्ञा भंग करना 2 वादा पूरा न करना; ~दार + फ़ा० (पु०) मुसलमानी शासन काल में वह अधिकारी जिसे कर उगाहने का ठीका मिलता था; ~नामा + फ़ा० (पु० ) 1 इकरारनामा, प्रतिज्ञापत्र 2 संधिपत्र ~शिकन + फ़ा० प्रतिज्ञा तोड़नेवाला
अहदी - I अ० (वि०) आलसी II (पु० ) वह सैनिक जिससे अत्यधिक आवश्यकता होने पर कार्य लिया जाए अहबाब - अ० (पु० ) मित्र
अहम् - I सं० (सर्व०) मैं II ( पु० ) 1 अहंकार 2 मैंपन अहम - अ० (वि०) 1 महत्त्वपूर्ण 2 गंभीर
अहमक़ - अ० ( पु० ) मूर्ख, बेवकूफ़ । ~ की दुम जबरदस्त बेवकूफ़
अहमहमिका-सं० (स्त्री०) 1 दो दलों में परस्पर एक दूसरे को तुच्छ और अपने आपको दूसरे से बढ़कर समझना 2 चढ़ा ऊपरी, होड़
अहमिका -सं० (स्त्री०) अभिमान, अहंकार, घमंड अहमियत - अ० (स्त्री०) 1 महत्त्व 2 गंभीरता अहमेव सं० (पु० ) 1 स्वयं को सब कुछ समझना 2 अभिमान अहम्मन्य-सं० (वि०) अहंकार, घमंडी
अहम्मानी-सं० (वि०) जो अभिमान करे अहरह-सं० (अ०) 1 प्रतिदिन 2 नित्य 3 लगातार अहरा - अ० (पु० ) 1 आग सुलगाने के लिए लगाए गए उपले या कंडे 2 कंडे की आग 3 लोगों के ठहरने का स्थान अहराम - अ० ( पु० ). 1 पुरानी इमारतें 2 मिस्र के स्तूप, पिरामिड अहरी - ( स्त्री०) 1 चरही, हौज 2 प्याऊ 3 गड्ढा अहर्निश - सं० ( क्रि० वि०) रात-दिन
अहर्ष -सं० ( पु० ) हर्ष का अभाव, अप्रसन्नता अहर्षित - सं० (वि०) जो प्रसन्न न हो अहल - अ० (वि०) 1 बासी (जैसे हिंद) 2 योग्य ~ कार ( पु० ) कर्मचारी; मद (पु० ) अदालत का एक कर्मचारी अहल्या-सं० (स्त्री०) 1 गौतम ऋषि की पत्नी 2 अजोत भूमि अहवाल - अ० (पु० ) 1 समाचार, वृत्तांत 2 हाल अहसान - अ० (पु० ) एहसान । फ़रामोश + फ़ा० (वि०) किए गए उपकार को न माननेवाला, कृतघ्न अहस्त-सं० (वि०) 1 जिसका हाथ कट गया हो 2 बिना हाथवाला
अहस्तक्षेप-सं० (पु०) दखल न देना अहस्तांतरणीय-सं० (वि०) जिसे दूसरे के हाथ न सौंपा जा
स
अहह -सं० (अ०) दुःख, क्लेश, आश्चर्य और संबोधन सूचक उद्गार
अहा - ( अ० ) हर्ष एवं विस्मयसूचक उद्गार
अहाता-अ० (पु०) 1 चारों ओर से घिरा हुआ मैदान या स्थान 2 चारदीवारी
अहानिकर-सं० (वि०) जो हानिकर न हो अहानिकारी-सं० (वि०) जो हानि पहुँचानेवाला न हो अहारना - (स० क्रि०) 1 आहार या भोजन करना 2 चिपकाना 3 माड़ी देना (कपड़े )