________________
रक्षक कैसे कहा जा सकता है ? और यदि अपने कर्तव्योंका फल है तो जो करेगा वह पावेगा विष्णु रक्षा क्या करेगा ? यदि कहा जाय कि जो विष्णुके भक्त हैं उनकी रक्षा करता है तो जो कीड़ी कुंजर आदि विष्णुके भक्त नहीं हैं उनका अन्नानिक पहुंचाने में संकटके समय सहायक हानमें अथवा मरण हानेमें विष्णुका कर्तव्य मान उसे सबका रक्षक क्यों कहा जाता है. केवल भक्तोंका ही रक्षक मानना चाहिए । किन्तु भक्तोंका रक्षक भी नहीं है क्यों कि अभक्त भी भक्त पुरुषोंको पीड़ा देत देखे गए हैं। उनके श्रद्धानुसार यह ठीक है, कि कई स्थानों पर प्रह्लाद आदिककी उसने सहायता की है। परन्तु यहां तो हम ग्रह पूछते हैं कि प्रत्यक्ष मुसलमान यादि अभक्त पुरुषों द्वारा भक्त पुरुप पीड़ित होते हैं मंदिरादिकोंको विन्न होता है वहां विष्णु सहायता क्यों नहीं करता क्या उसमें शक्ति नहीं है या उसे खबर नहीं है. ? यदि शक्ति नहीं है तो इनसे भी हीन शक्तिका धारक हुआ यदि खबर नहीं हैं तो इतनी सी भी खबर न हानेसे अज्ञानी हुआ। यदि कहा जाय कि शक्ति भी है खबर भी है लेकिन उसकी ऐसी ही इच्छा है तो उसे भक्तवत्सल क्यों कहा जाता है इस प्रकार विष्णुको लोकका रक्षक मानना मिथ्या है। ___इसी तरह महेशको संहारक माना जाता है यह भी मिथ्या है । पहले तो महेश जो संहार करता है वह सदा ही करता है या महाप्रलयके समय करता है ? यदि सदा करता है तो विष्णुकी रक्षा और संहार आपसमें विरोधी हैं। दूसरे यह संहार कैसे करता है ? जैसे पुरुष अपने हाथ आदिकसे किसीको मारता है या दूसरे द्वारा पिटवाता है वैसे ही महेश अपने अंगोंसे संहार करता है या किसीको आज्ञा देकर संहार कराता है ? अगर अपने अंगोंसे संहार करता है तो संहार तो सारे लोकमें अनेकों जीवोंका