________________
..
भाष्यकाराने युगका अर्थ पक्ष (पर्व) पूर्णिमा अमावस्या आदि किया है।
- युगल ) जोड़ा. दो। उपरोक्त मन्त्रके भाष्यमें ही पं० जयदबजी ने युगका अर्थ जोड़ा किया है।
५--( चार ) चार की संख्या अर्थ भी इसका प्रसिद्ध ही है। वथा च यजुर्वेद अ.० ५.७ मंत्र ४५ के भाग्य में सभी विद्वानोंने ५ काँका युग माना है। जैन शास्त्रों में भो ५ वर्षका युग माना है।
-(वर्ष ) एक वर्प. विवादास्पद मंत्रके भाष्यमें स्वामी दयानन्दजीने युगका अर्थ एक वर्ष भी किया है। ___ -( यज्ञ ) अथर्ववेद कां० २० सूक्त १०७ मं० १५ (युगानि निन्यते) का अर्थ सभी विद्वानोंने यन्त्र किया है अर्थान् यज्ञोंको
--(दिन ) युगे युगे नव्यं घोषादमय॑म् । .
अ० कां० २० सूत्र ६७२ प्रधान सोमदाताका आश्चर्य कम दिन प्रतिदिन नया हो । 6--(जुवा) चलों पर रखनेका जुवा (खें युगस्य )
अंकां० १४१ १ । ४५ यहां सबोंने युगका अर्थ जुवा किया है । इत्यादि अर्थात् दिन, पन. भास. ऋतु ( २ मास या ३ मास ) वर्ष. चार वर्ष, पांच वर्ष. गुगल ( जादा) यज्ञ, तथा जुत्रा आदि अोंमें इस शब्दका प्रयोग हुआ है । जब कि सम्पूर्ण वैदिक साहित्यमें कहीं भी वर्तमान युगौंकी कल्पनाको स्थान नहीं है तो युग शब्द आने मात्रसे सतयुग आदि अर्थ करना अनर्थ करना है। अतः मन्त्रार्थ निम्न प्रकार है