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मय प्राकृति, परमाग और सनिकट अन्य स्कन्धोंकी पारम्परिकआकर्षण शक्ति से बन जाया करती है। यही तथ्य उन्होंने पृष्ठ १७, १४७ पर Crystajisation का उल्लेख करते हुए सिद्ध किया है। और यह नित्य प्रति देखने में भी आता है कि हलबाईक सको में पड़ी हुई मीठेकी चाशनी कुछ ही कालमें कैसे सुन्दर २ मिश्रीके रवोंको प्राकृति धारण कर लेती है। महाशय जी ! जरा श्राप अपने प्रार्य समाज के प्रामाणिक प्रन्थों में यह तो दूदने का प्रन्यन्न कोजिये कि जगनके पैदा करने वाले ने इसको किस दिन अनाना श्रारम्भ किया और कितने समयमें बनाकर समाप्त किया २ इसका भी पता लगा कि दुनियां कहांसे बननी प्रारम्भ हुई
और किस स्थान पर जाकर समान हुई । ३ यह भी फरमाइयं कि कौन चीज कैसे किसके पश्चात् कितने समयमें किन किन साधनों से बनकर तैयार हुई ?
परमाणुवाद । प्राकृतिक अणुओं के सम्बन्ध में जो नई नई खोजें हुई है. उनसे प्रकट होता है कि परमाणु प्रकृतिका सबसे अधिक सूक्ष्मांश महीं है, जैसा कि अब तक वैज्ञानिक ममझते थे। वह विद्युत करणोंका समुदाय है। उनके भीतर एक केन्द्र होता है और विद्य त कण उसके चारों ओर उसी प्रकार नियम पूर्वक परिभ्रमण करते हैं. जिग्न प्रकार पृथिवी आदि ग्रह सूर्य के चारों ओर घूमते हैं। सर आलिवर लाज का कथन है कि सूर्य मण्डलके अन्यन्त सूक्ष्म सप परमाणु है उनके भीतर समस्त काग उनी प्रकार होते हैं ।