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जिग्न प्रकार सूर्यमण्डल के अन्तर्गत । * नवीन खोजों में प्रकृति दो भागों में विभक्त हुई है-पक्त और अव्यक्त व्यक्त प्रकृति का सबसे सूक्ष्म अंश नियुक्त है + परंतु प्रो० बोटमली विशुत्करणको भी. आकाश (Ether) हा परिणाम समते हैं । * परन्तु इस आकाश के समय वैज्ञानिको को थोड़ा ज्ञान है। इस बात को खुले तौर से वैज्ञानिक स्त्रीकार करते हैं। कल तक जो द्रश्य भौतिक समझे जाते थे और जिनकी संख्या लगभग ८० क पहुंच चुकी थी. वह सच विद्युत्कण का समुदाय समझे जाने लगे हैं। वैज्ञानिकों का कथन है कि ह ईड्रोजन के एक परमाणु का एक हजार वां भाग विद्युत्क की मात्रा समझी जाती है। परन्तु अब विद्यत्वाद भी बदलता दिखलाई देता है। सर श्रालियर लाज ने हाल ही में अपने व्याख्यान में कहा है कि अब तक समझत जाना था कि विद्युत्कण से प्रकाश उत्पन्न होता था परन्तु ब मालूम यह होता है कि प्रकाश से विद्युत्का उत्पन्न होते हैं और इस प्रकार अग्नि ही प्रकृति का आदिम मूल तत्त्व प्रतीत होता
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1 (Vide the times Educational Supplement quoted in the Vedic Magazine for October 1923.) इस प्रकार व्यक्त प्रकृति जिसको कपिलने व्यक्ति "विकृति 'नाम दिया था प्रचलित विज्ञान में कतिपय श्रेणी में विभक्त हैं । सब से सूक्ष्म भाग आकाश ( ईथर ) है आकाश से विक विकिरण से परमाणु परमाणु अणु और असे पंचभूत की रचना होती है। I
* Science and religion by Seven men of Science P. 18.
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P 76. 63.
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Evolution of matter by Gustove de Bon.
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