Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 850
________________ meas पंक्ति शुद्ध अशुद्ध इदमेवाग्नि इदमेवानि अग्नि अग्नि ददर्श ११ दर्दश रामानाथ अविलम्बित थी कोन है प्राय श्रावनी वद्यरूप राहित ने द्यावी पत्याश्रितः मध्यान सर्वाकारो परत्व विहन ३५ ४ रमानाथ अवलम्बित था कौन है प्रायः अश्विनौ वैद्यरूप सहित ने द्यावा पंसगानित: मध्यान्ह स कारपरत्व विन लोकस्य शुभ्रः उन्होंने लोकोद्धारक लोकचक्षु सोमप अन्तरिक्षस्थ आदित्य कहे. कर्म देवाः श्रोतकोत्पन्न शुभः ३. ३ उतने लोकोद्धार लाकचकृत सौमप श्रान्तरिक्षस्थ श्रादित्यों दिये फर्भ देवाः भात कोत्पन्न

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