Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 858
________________ पृष्ठ १८४ १८४ पंक्ति ५ १४ अशुद्ध हो गया कि अाहिसिक मनुष्म निरलस अतिष्ठस्तद पोषाक हो गया कि महिंसक मनुष्य निरालस अतिष्ठस्तद् पोशाक १८९ पोर १६० सैनिकों विविध (याही) इसी लगता तो FFEEEEEEEEEEEEER सैनियों विविधि इस ही लगा तो १६२ १२ हुश्रा असावधया १५४ करना देवतायों १६६ पोपण द्रवतपाणी . २०१५ हाना वासुदेवोंने अधिक खाल २०७३ पुण औदन सरस्वति है २. ७२३ रम्य असावधान करता देवताओं पोषण द्रवत्पारणी होना वसुओं ने अधिक वाले पूर्ण ओदन सरस्वती रहस्य

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