Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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पृष्ठ
पंक्ति
( २२ ) अशुद्ध उत्पत्ति मानते हैं
१२२ ४२२
धादाम उचालक मृत्युर्वे वेदमासीत. अप्रतक्य नर्कण के असद् अर्थात् था
५२२
५२५
उत्पत्ति का कारण मानते हैं व्यायाम उद्दालक मृत्युरेवेदमासीत अप्रतक्यं तर्क के মন মঘী কালি
शमान था तत्सम्बत्सरस्य प्रत्यक्षागोचर स्ववयवान् सन्निवेश्यात्ममात्रासु अपरिमित स्यात्मन स्मृतेः षष्ठवयवान् मर्धन सिमृतस्तु
४२
१२८ ३२८
तत्संबत्सस्य प्रत्यक्षा गौचर त्वयवान सनिवेश्यात्मात्रासु अपरमित स्यात्मन् स्मृते
षड्वयवान १५ । मधेन
सिष्टदुस्तु सृष्टवेदं रहत्तेनाभि जगहरवा प्रसति अधिकम
सर्वेषामेव ३ संसकारी
४२६
४३१
रब्यक्तनाभि
३२
प्रसति चाधिकम् सर्वेषामेव संसारी
४३४

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