Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 884
________________ पृष्ठ पंक्ति 761 21 763 अशुद्ध परिणामिनी परिणामिनो ईश्वर सर्व व्यापक. ईश्वर के सर्वव्यापक इन दो में एक मैं एक पालने में पालने से स्वतनका स्वतन्त्रताका यही यह भी ईशररमें ईश्वर में भय, शंका. लजा क्ष्यालुता कार्य में 765 766 15 कार्य के 804 815 815 817 21 23 มี มี มี ม ม ม ม เ कोटि का ब्राह्मण काल पर थी संन्यासी नैमित्तिक कोटीका ब्रामणका पर भी सन्यासी नैमिमित्तिक करने “योनि अमुथुनि अनुवादक अण्डकोशों में कुमारकाः गोरव विद्वान ने ख्यल वांगमय "योनिज" अमैथुनी अनुवाक अण्डकोषों में कुमारकाः गोवर विद्वानों ने ख्याल वाङ्मय में 2712 827 825

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