Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 881
________________ - - - पृष्ठ पंक्ति ६६० १५ ६६॥ २० ६.७ ... ६३ ६ ६८४ ६८५ . अशुद्ध अंतकल अंतकाल वृतान्त यह घृत्तान्त पानी यानी न प्रकटन प्रकट न पिछले पीछे शराब शराबी भलाई लिये भलाईके लिये भाना है माना गया है अपने आपने कर्मों में से कौसे चाहिये यह चाहिये कि यह पाहिले को रहिये शिकाँके ईश्वर अप्रतयं है ईश्वरकी इच्छा अनवमी नियमोंको नियमोंके कामकी नामकी प्रतिष्ठित प्रतिष्ठित ईश्वर से भिन्न ईश्वर से अभिन्न ... २३ Arrur Fr9 १ ६६ १६ किसी सो कहे मसिमक्षा जगत के पदार्थ वर्षों की म. महावीर जिन्हें कभी भी जो कहे सिसृक्षा जगत के मूल पदार्थ युगों की ७०४४ ११ म० महावीर जिन्दे

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