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अशुद्ध हो गया कि अाहिसिक मनुष्म निरलस अतिष्ठस्तद पोषाक
हो गया कि महिंसक मनुष्य निरालस अतिष्ठस्तद् पोशाक
१८९
पोर
१६०
सैनिकों विविध (याही) इसी लगता तो
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सैनियों विविधि इस ही
लगा तो १६२ १२ हुश्रा
असावधया १५४
करना
देवतायों १६६
पोपण
द्रवतपाणी . २०१५ हाना
वासुदेवोंने अधिक
खाल २०७३ पुण
औदन
सरस्वति है २. ७२३ रम्य
असावधान करता देवताओं पोषण द्रवत्पारणी होना वसुओं ने अधिक वाले
पूर्ण
ओदन सरस्वती
रहस्य