Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 865
________________ पृष्ठ पंक्ति ३४८ ३४८ अशुद्ध सदगुण जीवात्रा यश याज्ञयल्स्य ऋषयों रायः गिरजात है ३४६ ६५१ ३५१ ३५१ ६५१ १२ २० २२ . लगे कि भाषित ना कर उपनित श्रेष्ठता यस्मिन बृहदाण्यक बुद्धिस्तु विषयं स्तषु पांचवा जीवात्मा यक्ष मे याज्ञवल्क्य ऋषया साः गिरजाता है पाद लग. भासित न कर उपमित श्रेष्ठ ना यस्मिन वृहदारण्यक बुद्धिन्तु विषयास्तषु पांच यो श्रेष्ठ पापिष्ट श्रेष्ठ वशिष्ठ प्रजारित्वमा "घितणां प्राणस्येदं ३५३ २५३ ३५३ १४ श्रेष्ट you tub ३५४ पापिष्ट श्रेष्ट वशिष्ठ। प्रजास्त्विा मा पितणां प्राणस्पन १६ ३५५ ३५६

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