Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 856
________________ पृष्ठ पं. अशुद्ध १३४६ हही १३४२० . सूर्य शुद्ध । एक ही . सुर्य विभर्ति १३८ १२ १४३ १४५ १४५ सूर्य बांगमय और वैदिक समधान झुढ़ा : हगा छटा । अथ विभर्ति मूर्ग वाचामय और न वैदिक समाधान जुड़ा ' हांगा छठा १४७३ १४६२ . अग्न १४६ ११ वेतन्य १५ . जब १७ .जय १४६ ५५ ... अंगोकी १४६ . अर्थ घट अग्नि चेतन . सष सष . . अंगोको नष्ट अभिन्न कुतूहलादिक थी तो पीछे तर्क . स्वयमेव . स्वयमेव . परिणाम १५१ १५५ __ १५७ १५८ १५ । अभन्न २५ कुतुहलादिक २५ थी पीछे २२:. . तक . स्वमेव १५ . स्वमेव ह. परिणामन

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