Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 855
________________ पृष्ठ पंक्ति १८५ २३ १८७ ३५ १०८ ४ १८६ १६ १०८ २३ १११ १६ ११२ ११२ १५२. ११३ ११४ ११४ ११६ ११७ ११२ ११२ ११८ १२६ १५ १२ १३२ १३२ १३३ १३३ क १७ २५ १ १० ५ १५ २६ 美 १२८ १७ १३० १३१ २१ ३ १६ २१ अशुद्ध शिचित मदभ्यो नायकों की मर्पित वणोत भाग ओर ज्ञा दिखाई ओर विकास हुये सूर्यासूक अनष्टान क्रियों में क्रियाबलि विकिसित धरियन दुरितानी सन्तिः शर्म बृहस्पति वृष्णो विभषि सामश्रमी } शुद्ध शिति महद्भयो नायकों को मर्पित वृणोतु भर्गो और क्ष्मा दिखाई और विकाश हुबे सूर्यसूत अनुष्ठान क्रियाओं में कियावली विकशित धरियन दुरितानि समित शर्म बृहस्पतिः विष्णो विभर्षि सामाश्रमी

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