Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 857
________________ 발품 १:३ E १६४ २.१ १६४ २३ १६५ १६५ १६६ १६६ १६६ १३६ १६७ १६७ १६० १६६ १६६ १६६ १६६ 中文 १७५ १७६ १८० १८१ १८१ पं १८१‍ १८२ १८३ .१० २.१. १० १३ १६ अशुद्ध शारीरादिक दर्शनाकार १३ वान्ध हेतापतिश्च समदसन से इभ्यंस भविष्या १८ ईश्वर कार न च भावो अगम तसंशयादि १० विधाय १३. १३ १६ भन्धुते यदोङ्करः ३-४ कि उसको पृथक और २३ सुर दीर्गिका ५० देवतों देवतो लोग भनेका मन गड़ंत अनेकानेक किस प्रकार श्री अपभ्रष्ट } शुद्ध शरीराविक दर्शनकार बांध द्वैतापत्तिश्च सदसन से इत्यलं विषया ईश्वरः कारणं नाभावो आगम पृथक मोर तत्संशयादि विधया मश्नुते यदोङ्कारः उसको सुर दीर्घिका देवताओं देवताओं लोगों के आनेका मन गढ़न अनेकानेक किस प्रकार की थी

Loading...

Page Navigation
1 ... 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884