Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 848
________________ (25) I या sि start विकाश सबसे पहले कैसे हुआ । यदि यह माना जाये कि पहले पहल जी किसी दूसरे वाकाश पिण्डसे तो यह नितान्त असंभव है, क्योंकि वह किसी भी अवस्थाने जीवित नहीं रह सकता । हमारी दुनियाँ पर प्रलय हो जानेके बाद शायद शुक्रपर जीवनके उनकी बारी आवे । विश्वभारती खं० १ ० ४४० J आगे आपने एक वेद मन्त्र देकर लिखा है कि में एक जगह अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न मनुष्यों को सम्बोधन करते हुये लिखा है कि हे समस्त प्राणियों ! तुम न शिशु हो न कुमार किंतु महान ( युवा हो ।" वे बेचारा अनाथ है. यही कारण है कि ये लोग इस पर इस प्रकारका अत्याचार करते हुए जरा भी संकोच नहीं करते | संपूर्ण वैदिक संहिताओं में तथा सम्पूर्ण वैदिक हम कहीं भी अमैथुनी सृष्टि शब्द भी नहीं है। प्रांत होता है स्वामी जी महाराजको रामपुरकी कुटिया में यह नया इलहाम हुआ है । श्रथवा जनता को धोका देनेका एक नया ढंग निकाला है । यदि श्रीमान् जी इससे आगेका दूसरा ही मन्त्र देख लेते तो भी इनको ज्ञात हो जाता कि यहां किसका वर्णन है। उसमें लिखा है कि "येच त्रयश्व त्रिंशश ।" श्र० ८ । २० । ६ अर्थात जिनको हमने महान (युवा) बताया है वे तैतीस देवता है । 11 समाप्त ||

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