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सबका हिसाब करें तो ज्ञात होगा कि सूर्य की सतह से प्रति वर्ग इंच ५४ अश्वबल की शक्ति निकलती है । सूर्य के प्रत्येक वर्ग से. सेण्टीमोटर से लगभग ५०००० मोमबत्ती की रोशनी निकला करती है। इस हिसाब से एक वर्ष में सूर्य से इतनी गर्मी निकलती है कि जो इग्यारह अंक पर तेईस शून्य लगाने पर जा संख्या होती है उतने मन पत्थर के कोयले जला सकती है।
क्या सूर्य की गर्मी कम होती है ? इस प्रकार सूर्य की गर्मी निकलती रही तो कालान्तर में अवश्य घट जायगी। वैज्ञानिक कहते हैं कि नहीं घटेगी । एकसया तीन हजार वर्ष पुराने वृक्षके पीछेके भागका फोटो लिया गया था उसकी छाल पर से वर्षों की गिनती की गई । एक वर्षमें एक छाल नई आती है । वैसी छालें गिनने पर बनीस सौ वर्ष का उस वृक्ष का आयुष्मान माना गया । वृक्षकी वृद्धि जितनी चाज कल होती है। उतनी ही वृद्धि सषा तीन हजार वर्ष पूर्व भी हुई मालूम पड़ती है। इस पर से निश्चय होता हैं कि सवा तीन हजार वर्षों में जब गर्मी पड़ने में कुछ घटती नहीं हुई तो भविष्य में भी नहीं होगी।
. . ! सौ प०अ०५ सारांश)
बाय मण्डल का प्रभाव पहाड़ सूर्य के समीप में है और पृथ्वी उससे दूर में है अतः पहाड़ों पर गर्मो अधिक मिरनी चहिये और पृथ्वी पर कम पड़नी चाहिये । किन्तु होता है ठीक इनके विपरीत । पृथ्वी पर गर्मी अधिक पड़ती है। और पहाड़ों पर ठंडक रहती है । आयू और शिमला के पहाड़ों पर बैशास्त्र मास में भी गरमी न मालूम देकर शरदी मालूम पड़ती है : इसका क्या कारण है ? उत्तर-वायु मण्डल में हवा का हलन चलन। गर्म प्रदेश की हवा ठंडी होती है और वहां से चल कर ठंडे प्रदेशमें जानी है, यहाँ रुक जाती है।