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नाओं तथा पदार्थों दोनों को ही कारणों से बना हुआ कहा करते हैं, जैसे पानी आक्सीजन और हाईड्रोजन से मिलकर बना है। परंतु ऐसा कहने से हमारा केवल इतना तात्पर्य होता है कि जब उनका अस्तित्व आरम्भ होता है तो यह आरम्भ किसी कारणका कार्य रूप होता है परन्तु उनके अस्तित्वका प्रारम्भ पदार्थ नहीं है किंतु घटना मात्र है। यदि कोई यह श्राक्षेप करे कि किसी वस्तु के अस्तित्व के आरम्भका कारण ही उस वस्तुका भी कारण है तो मैं शब्द प्रयोगके लिए इससे झगड़ा नहीं करता । परन्तु उस पदार्थ में वह भाग जिसके अस्तित्वका आरम्भ होता है सृष्टिके अस्थायी तत्व से सम्बन्ध रखता है। अर्थात् बाहिरी रूप यथा वह गुण जो rasih संयोग अथवा संश्लेषण से उत्पन्न हो जाते हैं। प्रत्येक पदार्थ में इससे भिन्न एक स्थायी तत्व भी है. अर्थात् एक या अनेक विशेष मौलिक सत्ताएं जिनसे वह पदार्थ बना है और उन
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ताके अपने धर्म । हम इनके अस्तित्व के आरम्भको नहीं मानते | जहां तक मनुष्य के ज्ञानको सीमा है वहां तक यही सिद्ध होता है कि उनका आदि नहीं और इसलिए उनका कारण भी नहीं। हाँ यह स्वयं प्रत्येक होने वाली घटना के कारण या सहायक कारण अवश्य हैं
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*There is in nature a permanent, element and also a changable the effects of previous change the permanent existances, so far as we know, are not effects at all. It is true we are accustomed to say not to only of events, but of objects, that they are produced by causes, as water by the union of hydrogen and oxygen. But by this we only mean that when they begin to exit there beginning is the