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मेलका स्थान माता के न होने से. माता के पेटसे बाहर हुश्रा करता है । प्राणि शास्त्र के विद्वान बतलाते हैं कि अब भी ऐसे जन्तु पाये जाते हैं, जिनके रज और वीर्य माता के पेट से बाहर ही मिलते हैं और उन्हीं से बच्चे उत्पन्न हो जाते हैं। उनमें से कुछ का विवरण नीचे दिया जाता है--
(१) समुद्र में एक प्रकारकी मछली होती है. जिसकी मादा मछलियों में नियत ऋतुम बहुसंख्या में रजकण ( ore ) प्रकट होजाते हैं और इसी प्रकार नर मछली के अण्डकोशीमें जो पेटके नीचे ( within the abdominal cavity) होते में वीर्यकरण ( Zoo sperml ) प्रादुर्भूत होने लगते हैं। जब माया मछली किसी जगह अण्डे देने के लिये रजकणोंको जो हजारोंकी संख्या में होते है. गिराता है (वह जगह प्रायः अ को निचली राह में रंतलो अथवा पथरीली भूमि होती है तब उसी समय नर वहां पहुंचकर उन रजकरणों पर चीय कणोंको छोड़ देता है जिनसे पेटके बाहर ही गर्भको स्थापना होकर अण्डे बनने लगते हैं।
(२) इसी तरह एक प्रकार के मेंढक होने हैं जो रज और वीर्य कण बाहर हो छोड़ने हैं। नर मेंइक मादा मेंढकी पीठ पर बैठ जाता है जिससे मादाके छोइन हप रजकणों पर वायकरण गिरते जायं और इस प्रकार मेंढक के पेटसे बाहर ही. इनके अण्डे बना करते हैं।
(३) एक प्रकारके कीट जिन्हें ट्रेप वर्म ( Tape worm) कहते हैं और जो मनुष्यों के भीतर पाचन क्रिया की नाली ( Human digestion canal ) में पाये जाते हैं। हजार श्रण्डे एक साथ एक कोट देता है एक अपडेले जब कीर निकलता हैं तो उसका एक मात्र शिर हुकोंके साथ जुड़ा हुथा होता है। ( It consist simply a head with hook ) उन हुकोंक