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{ जुजुह )
तत्व | परन्तु इसमें सन्देह नहीं कि मूल तत्व और नाम रूपसे मिल कर ही जगत् बनता है । इस लिए जगत्का बनना अर्थात् कार्य सिद्ध होता है ।
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परमाणुओं के विषय में मौलिक विज्ञान वेत्ताओं में मतभेद है । साइंस सम्बन्धी अन्वेषण हो रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि वस्तुतः परमाणु कोई चीज नहीं और वह मूल तत्व जिससे संसार बना है केवल शक्तिके केन्द्र हैं। परन्तु हमें इस मतके अनुसार भी यह मानना पड़ेगा कि कोई न कोई समय ऐसा अवश्य होगा जय शक्तिके यह केन्द्र अपनी मौलिक अवस्था से चल कर जगत् की वर्तमान अवस्था तक पहुंचे होंगे । अर्थात् यह सृष्टि रची गई होगी। यदि सृष्टि रची गई तो अवश्य इस को कार्य कहना पड़ेगा ।
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कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सृष्टि के रचनेके लिये परमाधों में परस्पर मिलने की आवश्यकता नहीं है, सृष्टि में एक मूल सत्य है जिसको प्रकृति कहते हैं यही मूल तत्व परिणाम से सृष्टि के रूप में हो जाता है जिस प्रकार पानी बर्फ हो जाता है। हम इन भिन्न मतों की मीमांसा नहीं करते। इस स्थान पर हमारा यह प्रयोजन यह नहीं है कि हम मूल तत्वके विषय में कोई आलोचना करें | हम तो केवल एक बात को दर्शाना चाहते हैं वह यह है कि सृष्टिका आरम्भ है। कोई समय है जब यह सृष्टि बनती है। परिमावादियों के मत में भी परिणामका समय होता है। परिणाम भी एक प्रकारका कार्य ही है। माना कि वर्फका मूल तत्व वही है जो पानी का है परन्तु पानी और वर्फ एक ही वस्तु नहीं है, न कोई इन दोनों से एक ही आशय समझता है। पानी से बर्फ बनने में एक समय लगता है। बर्फ को हम कार्य और पानीको कारण कह सकते हैं।