Book Title: Ishwar Mimansa
Author(s): Nijanand Maharaj
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 835
________________ ( ८१५ ) 1 अर्थात जहां से गिरना नहीं होता ऐसा मुक्ति स्थान है। परन्तु सम्पूर्ण सूक्त को देखने से ज्ञात होता है कि यह बात ठीक नहीं क्योंकि यहां औषधि का वर्णन है कि यह मुक्ति का। यह औषधि हिमालय पर उत्पन्न होती है तथा मनुकी नौका भी हिमाहाय में लेजाकर बांध बाई को यह कथा शतपथ ब्राह्मण का १८ । १ । १ में इस प्रकार आगई है कि मनु महाराज एक समय नंदी किनारे तर्पण कर रहे थे. उनके हाथ में एक मछली आगई मछली ने कहा कि आप मेरा पालन करे मैं आपको पार उतारूंगी मनु ने कहा तू कैसे पार उतारेंगी तो उसने कहा अभी प्रलय होने वाली है उस समय मैं तेरी प्रजा की रक्षा करूंगी. इस पर मनु ने एक बहुत बड़ा जहाज बना लिया तथा जब प्रलय हुई तो उस नाव को मछली के सींग के साथ बांध दिया, वह मछली उसको are feit चल गई। मत्स्य पुराण में इसी कथा को विस्तार पूर्वक लिखा है तथा उस मछली को वासुदेव का अवतार बना दिया है। मत्स्य पुराण की जो प्रलय है अर्थात् उस समय की प्रलय का जहां जैसा वर्णन है वैसा ही जैन पुराणकारों ने माना हैं। इसी मनु की कथा का ऐसा ही उद्धरेव कुरान बाईबिल च्यादि मन्थों में है। वहो "नह" का किश्तो प्रसिद्ध है। बाईबिल में लिखा है ईश्वर देखा कि पृथ्वीपर पाप बढ़ गया है तो वह पछताया और उसने सब प्राणियों के नाश की ठान ली । परन्तु उसकी कृपा दृष्टि नह पर भी अतः उसने नूह से कहा कि तू एक नौका " • बना हम प्रलय करेंगे । श्रतः तीसहाथ लम्बी तथा ५० हाथ चौड़ी और ३० हाथ ऊंची नौका बनाई गई। प्रलय हुई और नौका में एकर जोड़ा सब जीवों की बैठाया प्रलय हुई। सब प्राणी मर गये केवल उस नौका के प्रणी जीते रहे। मनुष्यों में केवल नूह और उसकी स्त्री जाति जीती रहीं जिससे पुनः सन्नति चली। मुसल

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