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जाता है, प्रकाश में कितने ही रंग हो किन्तु जब वे काली वस्तुपर के जाय तो वह काली वस्तु प्रकाश के सर्व रंगों को खीच लेगी और उसमें गर्मी पैदा हो जायगी अर्थात प्रकाश गर्मी के रूप में बदल जाता है। बोलो मीटर यन्त्रमें भी काली की हुई पल्लेटिनम धातु का एक बहुत छोटा पत्तरा लगा हुया होता है उस पर प्रकाश गिरने से प्लेट गर्म हो जाती है उससे ताप क्रम की डिमी का पता लग जाता है । इस पृथ्वी पर अधिक से अधिक गर्मी बिजली में है। बिजली का ताप क्रम सीन हजार डिग्री तक पहुंचा है। सूर्य की सतहके पास बोलो मीटर यन्त्र से जांच करने पर छः हजार दिपी ताप कम होता है। सूर्यके केन्द्र में तो इससे भी अधिक गर्मी होगी । उबलते हुए पानी में सौ डिग्री गर्मी होती है। एक हजार डिग्री गर्मी से सोना पिघलता है। बाप क्रमके मापसे बैज्ञानिकोंने यह भी हिंसाब लगाया है कि सूर्यसे कितनी गर्मी निकलती है। इस बोलोमीटर यन्त्र से किस देशमें किस तुमें कितनी गर्मी या शरदी है, इसका निश्चित परिमाण बताया जाता है। ऐसे यन्त्रोंको सहायतासे ईश्वर वादियोंकी शाब्दिक कल्पना वैज्ञानिकोंके प्रत्यक्ष सिद्ध प्रमाणों के सामने जरा भी नहीं टिक सकती इस बातका पाठक स्वयं विचार करेंगे।
(मौ० प० अ०५ सारांश)
परमाणुवाद, प्रपंच परिचयमें प्रो० विश्वेश्वरजी लिखते हैं कि
"पदार्थ विश्लेषण के नियम से हमारा प्राशय यह है कि यदि संसारके किसी पदार्थका विश्लेषण प्रारम्भ किया जाय तो क्रमशः उसे लघु. लघुनर भागों में विभक्त करते हुए हम एक ऐसी अवस्था पर पहुंचेगे कि जिसके आगे उस पदार्थका विभाग कर सकना असम्भव हो जायगा । दृश्यमान पदार्थ के इस अंतिम,