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( ७३८ ) अर्थात् गर्म प्रदेश ठंडा हो जाता है। दूसरी बात यह है कि पृथ्वी दिनमें गर्म होती जाती है और रात्रिमें वह गर्मी वायु मंडल में रही हुई याप या बादल आदिसे रुक जाती है अर्थात् आय बढ़ती
और व्यय कम होता है। इस प्रकार गर्मी बढ़ते २ वर्षा होती है तष गर्मी के जाने का मार्ग खुला हो जाने से प्राय की अपेक्षा
अय बढ़ जाता है और वातावरण में शैत्य फैल जाता है। पहाड़ों पर गर्मी कमपड़ती है और ठंडक अधिक रहती है। ऊपरकी हवा स्वच्छ और हलकी विशेष है अतः गर्मी की आय की अपेक्षा व्यय बढ़ जाने से ठंड विशेष प्रमाण में रहती है ।
(सौ० ५० १०५ सारांश ) सूर्य में गर्मी कहाँ से आती है ? आधुनिक विज्ञानलसे सिद्ध हुआ है कि शक्ति नई उत्पन्न नहीं होती है और न विनष्ट होती है। जब घासलेट रेल के इंजन से शक्ति पैदा की जाती है तब वह शक्ति नई पैदा नहीं होती किन्तु जो शक्ति घासलेद तेल में जड़ रूप से छिपी हुई थी वही इंजिन की गति के रूप में प्रकट हुई । जब इंजिनसे कुछ काम नहीं लिया जाता तब वह शक्ति नष्ट नहीं होती. उस वक्त तैल भी खर्च नहीं होता । जितना तैल खर्च होता है, उतने ही प्रमाण में कल पुर्जीकी रगड़ और फटफट शब्द करने में शक्ति का व्यय होता है। इतने पर भी रगड़ से शक्ति का नाश नहीं होता है किन्तु रगड़ से पुणे में गर्मी उत्पन्न होती है। गर्मी शक्ति का ही एक रूप है। कितनी ही शक्ति हवामें चली जाती है। ___ यहाँ प्रश्न होता है कि सूर्य से प्रतिदिन सारी रोशनी गर्मी या शक्ति बहार निकल जाती है। तो दो तीन हजार वर्षों में वह शक्ति सारी समाप्त हो जानी चाहिये और सूर्य की चमक घट जानी चाहिये, किन्तु ऐसा नहीं होता है । सूर्य हजारों, लाखों, करोड़ों