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मान बनाया वो किसने किसी प्रकारकी धारणाकी, इसी प्रकार कलियुग की समाप्तिके विषय में भी भारी मत भेद हैं। नागरीप्रचार णी पत्रिका भाग १८ अङ्क १ में एक लेख भारत के सुप्रसिद्ध ऐति हासिक विद्वान श्री काशीप्रशाद जी जायसवाल एम० ए० विद्या महोदधिका छपा था । उसमें अनेक प्रमाणों से सिद्ध किया गया है कि विक्रमादित्य पूर्ण ही कलियुग समाप्त हो चुका था। उसके पश्चात् विक्रम संवत् चला जिसको प्राधीन लेखों में कृत संवतके नामसे उद्धृत किया है. कृत- सतयुग इसकी पुष्टि श्रीजयचन्द fat fariकारने अपनी भारतीय इति । सकी रूप रेखा में की है। इस कल्पनाका कारण यही था कि जब ब्राह्मणोंने देखा कि विक्रमादिव्य के राज्यमे लोगोंको सुख और समृद्धि प्राप्त हैं, तो उन्होंने ये फतवा दे दिया कि कृतयुग (सतयुग) आरम्भ हो गया और उनके संवत्का नामभी कृत संवत रख दिया। परन्तु जब उनके पश्चात् फिर भी पूर्ववत् अनाचारादि होने लगे तो ब्राह्मणोंने कह दिया कि 'कलिवृद्धिर्भविष्यति' कलियुग की आयु बढ़ गई है और कलियुगकी आयु भी बढ़ा दी।
इस विषय में हम भारत के ही नहीं परन्तु संसार में ज्योतिष विद्या सर्व विद्वान पं० बालकृष्ण जी दीक्षित का मत लिख देना ही पर्याप्त समझते हैं। आप लिखते हैं कि ज्योतिष ग्रन्थों के मन से ३१७६ वर्ष शकाब्द के पूर्व कलियुग का आरम्भ हुआ ऐसा कहते हैं सही किन्तु जिन ग्रन्थों में यह वर्णन है. वे ग्रन्थ २६०० वर्ष कॉल लगने के हैं। इन ज्योतिष मन्थों के अलावा प्राचीन ज्योतिष या धर्म शास्त्र आदि ग्रन्थों में कलियुग आरम्भ कब हुआ यह देखने में नहीं आया. न पुराणों में ही खोजने से मिलता है। हाँ यह बात तो अवश्य है कि कुछ ज्योतिष ग्रन्थों के कथनानुसार यह वाक्य मिलते हैं कि कलियुग के आरम्भ में सब
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