________________
पेशा छोड़ कर दूर जाकर किसी शहर में दूकान करली । उस दूकान से भी बहुत कुछ फायदा हुआ और वह बड़ा मालदार बन गया। उसकी शादी हो गई। कुछ दिनों के बाद उसके लड़का पैदा हुआ । उसके जन्मोत्सव में बहुत सा रुपया खर्च किया गया इसके बाद उसके लालन-पालन, शिक्षण में भी खूब व्यय किया गया । फिर उसकी शादी की गयी उसमें भी बहुत धन लुटाया गया । कुछ दिन बाद दुर्भाग्यवश लड़का बीमार पड़ गया । वर्षों
हे वाक्य :- जैसले ईलाज माया गया जिसमें बेशुमार रुपया खर्च में पाया । अन्त में डाक्टर श्रादि सब निराश हो गये और उन्हीं ने जबाब दे दिया कि अब इसके बचने
को कोई श्राशा नहीं । एक दिन लड़का एकान्त देख कर अपने पिता से कहने लगा--"पिता जी ! आपने मुझे पहिचाना ? इस पर सेठ बड़ा हैरान हुमा और कहने लगा, बेटा ! ग्रह तुम क्या कह रहे हो ? क्या आज तुम्हारी तबियत अधिक खराय है ?" इस पर उसने उस जंगल वाले किस्सेकी याद दिला कर कहा कि "लो मैं अब जा रहा हूँ। मैंने उतना ही धन प्रापसे खर्च करवाया है जितना कि आपने मुझसे लूटा था । उस धन का व्याज अश्यशिष्ट है उस व्याज से मेरी स्त्री का पालन करना यह कह कर उसने अपना शरीर छोड़ दिया ।
इसी प्रकार महाभारत में भीष्म पितामह और काशीराज की लड़की का वृत्तान्त पाता है। जो कि दूसरे जन्म में शिखण्डी घन कर भीष्म पितामहकी मृत्युका कारण हुआ। __इस प्रकार के अनेक उदाहरण मिल सकते हैं। जैनशास्त्रों में नो हजारों उदाहरण इस प्रकार के दिये हुए हैं जिनको दिखलाना पिष्टपेषण करना है। इसी बदले की भावना को जैनशास्त्रों में "निदान बन्ध" कहते हैं। इसी प्रकार और भी अनेक प्रतिक्रिया