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(६cc ) को देखकर किया था, नहीं वे सूक्ष्म शरीर पर पड़े हुये अपने योग द्वारा सूक्ष्म दृष्टि से उन संस्कारों को प्रत्यक्ष देखते थे। बस यह सिद्ध हुआ कि संस्कार (भले बुरे) स्थूल शरीरपर न पड़कर सूक्ष्म शरीर पर पड़ते हैं और उन्हीं सूक्ष्म शरीर पर पड़े हुये कुछ संस्कारों को लेकर स्थूल शरीर का निर्माण होता है । क्या आपने जो इतनी पुस्तके लिखी हैं या इतना पढ़ा है क्या वह आपके स्थूल शरीर में विद्यमान है ? क्या आप स्थूल शरीर पर लिखे हुये को पढ़ कर स्मरण करते हैं। यदि ऐसा है तो आपको स्मरण करत समय आँख बन्द नहीं करना चाहिये। अतः सिद्ध हुआ कि
आत्मा जो कुछ करता है उसे सूक्ष्म शरीर पर लिखता रहता है यही उसका बहीखाता हैं । जन्मान्तरों के सम्पूर्ण कमों को इस में लिख रहा है।
क्या ईश्वर कर्म फल दाता है ईश्वरको कम फल दाता किस प्रमाणसे सिद्ध किया जाता है प्रत्यक्ष से अथवा अनुमान से.? यदि कहो प्रत्यक्ष से तो यह असिद्ध है। क्यों कि ईश्वर को किसी भी व्यक्ति ने कम का फल देते हुये नहीं देखा अतः प्रत्यक्ष तो कह नहीं सकता । रह गया अनुमान, अनुमान के लिये पक्ष सपक्ष और विपक्ष होना अत्यावश्यक है। क्योंकि बगैर इनके अनुमान बनता ही नहीं । आप के इस पक्ष में सपस तो इस लिये नहीं है कि आज तक यह सिद्ध नहीं हो सका कि आपके ईश्वर के सिवाय कोई दूसरा ईश्वर कर्म फलदाता है। और विपक्ष इस लिये नहीं है कि ऐसा कोई स्थान आप सिद्ध नहीं कर सकते जहाँ ईश्वर कर्मका फल न देता हो और जीव कम का फल न भोगते हों । इस लिये अनुमानाभास है । लिस पक्ष के साथ सपक्ष और विपक्ष न हो वह पक्ष झूठा