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( ६५ ) उन्होंने हाईकोर्ट में दरख्वास्त देकर एक ऐसे व्यक्तिको लेलिया जिसको फांसी होने वाली थी 1 उन डाक्टरोंने कहा कि तुम्हारा खून निकाला जावेगा और तुम्हारे खूनसे दवाई बनाई जावेगी। उस आदमीको उन्होंने संगमरमरकी मेज पर लिटा दिया । लिटा कर उसका अखें बन्द करदी और जमको कसकर बांध भी दिया जिससे कि उसका कोई अङ्ग हिल डुल न सके। एक बहुत बारीक इन्जेशनकी सुई लेकर उसके अङ्गमें एक जगह स्पर्श मात्र कराया और कहने लगे कि इसके बदनसे खून निकलने लगा, उस मेजके नीचे एक टप रक्खी हुई थी। टपमें वे बूदें भी गिराते जाते थे जिससे कि श्राबाज्र हो और उसे मालूम हो कि टपमें मेरा खून गिर रहा है। साथ ही लोग कहते आते थे कि अब तो बहुत खून निकलने लगा । उसकी नाड़ीकी गतिभी देखते जाते थे धीरे धीरे उसकी नाड़ी मंद पडती जाती थी और वह समझता जा रहा है कि मेरे खूनसे टप भर गई है। इस प्रकार से वह वेचास इसी विश्वास पर जीवनसे हाथ धो बैठा । ठीक इसी प्रकार हमार संकल्पोंका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है कोई बहादुर है, तो कोई कायर है: यह सब संकल्पीका ही प्रभाव हैं।
एक हस्तरेखा विज्ञानवेत्ता क्रिसो हस्तरेखाओं और सारीरिक चिन्हों को देख कर उन के स्वभाव आदि और भूत भविष्यत में होने वाली प्रायः तमाम घटनाओं का वर्णन कर देता है । यह सिद्ध कर रहा है कि हमारे द्रव्य कर्मानुसार जैसा सूक्ष्म स्थूल शरीर धनता है, उसी प्रकार के हमारे स्वभावादि बनते हैं. और उसी प्रकार हम फल भोगते हैं यही तरीका कर्मों के फन देने का है।
परगत प्रतिक्रिया जहाँ हमारे संकल्पों का प्रभाव हमारी आत्मा और हमारे