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( ५३६ ) कर्मेन्द्रियां और मन ये २४ तत्व मांख्योंके नित किए हैं। ५ वा तत्व पुरुष अथवा आत्मा है। वनपर्वके युधिष्टर व्याध सम्बादमें भी २४ तत्वोंका उल्लेख है । परन्तु ये उपयुक्तसत्वोंसे भिन्न प्रतीत होते हैं। महाभूतानि खं वायुरनिरापश्च ताश्च भूः। शब्दः स्पर्शश्च रूपं च रसोगन्धश्च तद्गुणाः ॥ पष्टश्च चेतना नाम मन इत्यभिधीयते ।
मी भवेद् बुद्धिरहंकारस्वतः परम् ।। इन्द्रि ण च पश्चास्मा रजः सत्वं तमस्तथा । इत्ये संसदशको राशिख्यक संज्ञकः ॥ सर्वैरिहेन्द्रियार्थै स्तु व्यक्ताव्यक्तः सुसंकृतः ।
शिक इत्येवं व्यक्ताच्यक्तमयोगुणाः । अ० २१० अभिप्राय यह कि ५ महाभूत ६ मन ७ बुद्धि ८ अहंकार ५ इन्द्रियां तथा ५ उनके अर्थ तन्मात्रायें । व्यक्त और अव्यक्त इस प्रकार २४ तत्व यहां माने गए हैं। परन्तु है गड़बड़ क्योंकि जब १७ तत्वांकी १ की राशिको अव्यक्त कह चुके हैं तो पुनः व्यक्त
और अव्यक्त प्रथक कैसे गिना दिए । ___इत्यादि अनेक बातें यहां विचारणीय हैं। इसी प्रकार कहीं १७ सत्य हैं तो कहीं १६ माने गए हैं। कही २४ सो केही २५ और कहीं २६ भी कह दिये हैं। इन सब परस्पर सिद्ध बातोंसे स्पष्ट है कि उस समय तक सांख्य के तत्व निश्चित ना हुए थे और इन तत्वोंके मानने में भी विद्वानोंकी अनेक शंकायें 1 उसी समय चार्वाक मतका भी प्रचार होने लगा था। उसके अनुगायीआकाश को कोई तत्व नहीं मानतेथे। अन्य परोक्ष सरषों की तो बासकी क्या