________________
?
( १८४ . )
देव थे। असुका नाम "पूर्व देव" सिद्ध कर रहा है कि ये देवी से भी प्राचीन समयके देव थे. इसीलिये मानना पड़ता है कि देवजातिकी सभ्यता के पूर्व काल में श्रसुरी सभ्यता प्रभावित हुई थी" श्रीपाद दामोदर सातवलेकरकृत महाभारतकी समालोचना । भागर
उपरोक्त विवेचनसे यह स्पष्ट होगया कि इन्द्र, वरुण, अश्वि नीकुमार मरात, आदि सम्पूर्ण वैदिक देवता तिव्वत भादि देशों के धियाँ थी । न ये ईश्वर थे और न ईश्वरकी शक्तियाँ | पं० प्राणनाथजी विद्यालंकार (जिनके मतका उल्लेख हम पहिले लिख आये है) ने भी करीब करीब, यही सिद्ध किया है।
पाँच प्रकारकी अग्नि ।
af वो देव यज्ययामि प्रयत्यध्वरे । श्रमिं भीषु प्रथमममित्यक्षैित्राय साधसे ॥ श्र० ८ । ६० । १२ ॥ (१) याशिक अमि, जो यज्ञ कुण्ड में प्रदीप्त होती है। (२) अध्वर, श्रम, अर्थात् अहिंसक भनि । अर्थात् अहिसिक तेज. (ओज )
1
(३.) वैदिक अ, अर्थात् ज्ञानामि, आत्मा,
( ४ ) सामूहिक अभि अर्थात् संघ शक्ति, सैनिक शक्ति, अश्रषा सामाजिक क्रान्ति ।
:
(५) क्षात्र अमि, अर्थात, बल, बीर्य, रूप, ि
यह है कि वैदिक साहित्य में ममि शब्द से उपरोक्त
पांच प्रकारको अनिका ही वर्णन है ईश्वर अथवा ईश्वरकी शक्ति प्रादिका नहीं है क्योंकि यदि अभि शब्द से areer भी उल्लेख होना चाहिये था।
ईश्वरका वन होता.