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बकरा बना, शतरूपा भेड़ बनी, प्रजापति भेड़िया बना दोनों के सम्भोगसे बकरे और भेड़ियोंकी सृष्टि हुई। इस प्रकार प्रत्येक प्राणियोंके युगल रूप बनने बनते कीड़ो मकोड़ों तककी सृष्टि उत्पन्न हुई।
प्रजापति की सृष्टिका दशवाँ प्रकार प्रजापतिर्वैस्वां दुहितरमभ्यध्यायत् । तामृश्योभृत्वारोहितं भूता सभ्येसं देवा अपश्यन्नकृतं प्रजापतिः करोतीति ते समैच्छन्य एन मारिष्यत्येत मन्योऽन्यस्मिन्नाविन्दं स्तेषां या एवघोर तमास्तन्व आसंस्ता एकधा समभरस्ताः सं भृताएष देवोऽभवत्तदस्यैतद्भूतवनाम ।..............
तं देवा भबुवनयं वे प्रजापतिरकृतमकारिमं विध्येति स तथेत्य ब्रवीत्स बै बोवर घृणा इति वृणीष्वेति स एत्तमेव वरम वणीत पशनामाधिपत्यं तदस्यैतत्पशुमनाम ।..... __तमभ्यायल्पाविध्यत्पाविध्यत्सविद्ध ऊध्र्व उप्रपतत्तमेतं मृग इत्याचक्षते, य उ एव मृग व्याधः स उ एव स या सेहित्मा यो एवेषु खिकाण्डा सो एवेषु त्रिकाएडा ।
(ऐत० ब्रा० ३।३।६) अर्थ--प्रजापतिने अपनी पुत्रीका पत्नी बनाने का विचार किया। फिर प्रजापतिने मृग बन कर लाल वर्ण वाली भूगी रूप पुत्री के साथ समागम किया। यह देवताओंने देख लिया, देवताओंको विचार हुश्रा कि प्रजापति अकृत्य कर रहा है इस लिये इसे मार दालना चाहिये । मारने की इच्छामे देव लोग पसे